श्रद्धा बलिदान एवं हर्ष का नया इतिहास है अयोध्या : पूर्व राजनयिक डॉ. मोक्षराज

श्रद्धा बलिदान एवं हर्ष का नया इतिहास है अयोध्या : पूर्व राजनयिक डॉ. मोक्षराज
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श्रद्धा बलिदान एवं हर्ष का नया इतिहास है अयोध्या : पूर्व राजनयिक डॉ. मोक्षराज








अयोध्या, 21 जनवरी (हि.स.)। सात लाख उनहत्तर हज़ार वर्ष पुरानी अयोध्या नगरी के प्रति करोड़ों भारतीयों की सतत् श्रद्धा का ही परिणाम है कि छल कपट और क्रूरता से भरे म्लेच्छों के अत्याचार एवं अंग्रेज़ी लेखकों के षड्यंत्र भी इस इतिहास को दबा नहीं सके ।शरीर तो नाशवान हैउसे जाना ही था, किन्तु जिस प्रभु श्री राम के वंशजों व भक्तों ने 500 वर्ष तक संघर्ष किया उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया।

उक्त विचार रविवार को अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास में तीन वर्ष तक भारतीय संस्कृति की शिक्षा देने वाले पूर्व राजनयिक डॉ. मोक्षराज ने अयोध्या दर्शन में सरयू के तट पर वाल्मीकि रामायण का पाठ करते हुए व्यक्त किए ।

सरयू किनारे वाल्मीकि रामायण पाठ

उन्होंने मुनि नारद एवं वाल्मीकिके संस्कृत संवाद का पाठ किया तथा मूल रामायण का उपदेश किया। योगगुरू एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ. मोक्षराज ने कहा कि आज अयोध्या की शोभा को देखकर देश-विदेश के पर्यटक एवं श्रद्धालु अचंभित व आनंदित हैं।

अमेरिका में भारत की संस्कृति योग एवं हिंदी भाषा का डंका बजाने वाले तथा भारत का राष्ट्रगान गाने वाली अफ़्रीकन अमेरिकन मूल की हॉलीवुड अभिनेत्री मैरी मिलबेन के गुरु डॉ. मोक्षराज विगत 5 दिन से अयोध्याधाम में धर्मलाभ ले रहे हैं।

अयोध्या देख हुए भावुक

डॉ. मोक्षराज जन्मभूमि तीर्थस्थल, कनक महल, दशरथ महल एवं सरयू नदी को देखकर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आर्य जाति की जैसी एकजुटता इस समय है, वह श्लाघनीय है। सांस्कृतिक विकास के इस अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।

तीर्थ क्षेत्र पुरम, मणि पर्वत में साधुओं से मिले

उद्घाटन समारोह की पूर्वसंध्या पर डॉ. मोक्षराज ने अनेक साधु संतों से आशीर्वाद लिया तथा पद्मश्री डॉक्टर सुकामा आचार्या से भी भेंट की तथा उन्होंने पुष्कर से पधारे डॉ. रामेश्वरानंद हरि निर्मल, उज्जैन महाकाल के प्रमुख पुजारी पं. घनश्याम गौड, जयपुर के आचार्य राधेश्याम गौतम, महंत राजेश्वरानंद तीर्थ, महंत मनोहर शरण, महंत नरेंद्रनाथ, स्वामी सेवानंद गिरी, कृष्ण मुरारी, महंत गोपालदास, राम सिंह सेन, बसंत चौबीसा, बालमुकुंद, चंद्रप्रकाश व्यास आदि से विमर्श किया।

हिन्दुस्थान समाचार/पवन पाण्डेय/डॉ. आमोदकांत

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