राजौरी मुठभेड़ में घायल डॉग 'डोमिनोज' को कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया
- हैंडलर लांस नायक लकी कुमार को भी उत्तरी सेना कमांडर ने सम्मानित किया
- खून के निशान सूंघकर आतंकवादियों के ठिकाने तक पहुंचाया था सैनिकों को
नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)। हाल ही में राजौरी मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी को उसके ठिकाने पर ट्रैक करने में भारतीय सेना के कुत्ते डोमिनोज ने अहम भूमिका निभाई है। उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शुक्रवार को डोमिनोज और उसके हैंडलर लांस नायक लकी कुमार को कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया है। कालाकोट क्षेत्र में मुठभेड़ में घायल होने के बाद कुत्ते ने आतंकवादियों के खून के निशान सूंघकर सैनिकों को आतंकवादियों के ठिकाने तक पहुंचने में मदद की थी।
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी में दो दिनों तक चली मुठभेड़ में सेना के दो कैप्टन समेत पांच जवानों की शहादत हुई है। इसके अलावा भारतीय सेना की डॉग यूनिट का जवान कुत्ता डोमिनोज भी घायल हुआ है। सेना के इस कुत्ते ने कालाकोट क्षेत्र में आतंकवादियों के खून के निशान को सूंघकर उनके ठिकानों का पता लगाया, जिससे सुरक्षा बलों को उनका पता लगाने और खतरे को बेअसर करने में मदद मिली। इस ऑपरेशन में बहुमूल्य भूमिका के लिए डोमिनोज और उसके हैंडलर लांस नायक लकी कुमार को लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने आज उत्तरी सेना के कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया।
इसी तरह सितम्बर में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना की 21 आर्मी डॉग यूनिट की छह वर्षीय मादा लैब्राडोर ‘केंट’ ने अपने हैंडलर की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी थी। केंट भाग रहे आतंकवादियों की तलाश में सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रही थी, लेकिन आतंकवादियों की गोली लगने पर उसकी जान चली गई। इस मुठभेड़ में एक जवान बलिदान हो गया और एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) समेत तीन घायल हो गए। पिछले साल अक्टूबर में एक मुठभेड़ के दौरान कश्मीर में फौजी कुत्ते 'जूम' को दो गोलियां लगीं थीं, लेकिन फिर भी वह आतंकियों से लड़ता रहा। बाद में सेना के असॉल्ट डॉग जूम ने अपनी बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला करते हुए जांबाज सैनिक की तरह शहादत दे दी।
सेना के ट्रेंड कुत्ते देश की रक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ट्रेनिंग के बाद ये 'सैनिक' बन जाते हैं। इनका लक्ष्य दुश्मनों की हर नापाक चाल को नाकाम करना होता है। भारतीय सेना के पास इस तरह के करीब 260 बहादुर कुत्ते हैं, जिन्हें आतंकवादियों को खोजने और उन पर हमला करने के लिए महीनों तक मेरठ के सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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