पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर और मजबूत की जाएगी तार की बाड़बंदी: सेना प्रमुख

पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर और मजबूत की जाएगी तार की बाड़बंदी: सेना प्रमुख
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पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर और मजबूत की जाएगी तार की बाड़बंदी: सेना प्रमुख

- पाकिस्तान से घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियां हमारे लिए चिंता का विषय

- आधुनिकीकरण के मद्देनजर सेना से 2027 तक 1 लाख सैनिक कम किये जाएंगे

नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स.)। सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को सालाना प्रेस कांफ्रेंस में भूटान, चीन, पाकिस्तान और म्यांमार सीमाओं के मौजूदा हालात पर बात की। उन्होंने चीन सीमा को स्थिर लेकिन संवेदनशील बताया। पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर हालिया घटनाओं के मद्देनजर सेना प्रमुख ने चिंता जताते हुए कहा कि यहां बाड़ को और मजबूत किया जाएगा। पाकिस्तान से घुसपैठ और आतंकी घटनाएं बढ़ने की बात मानते हुए जनरल पांडे ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियां हमारे लिए चिंता का विषय हैं।

सेना दिवस के मद्देनजर मानेकशॉ सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेना प्रमुख ने देश की सीमाओं पर मौजूदा स्थिति, आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, सेना के पुनर्गठन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों, सेना के आधुनिकीकरण, नई तकनीकों को शामिल करके युद्ध का स्वरूप बदलने की तैयारियों, पाकिस्तान और चीन से मिल रही चुनौतियों के अलावा सेना को आधुनिक बनाने के लिए नई तकनीकों को शामिल किए जाने के मद्देनजर किए गए सवालों के साफगोई से जवाब दिए।

सीओएएस जनरल मनोज पांडे ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय है। पिछले कुछ महीनों में म्यांमार सेना और जातीय सशस्त्र संगठन की गतिविधियों से अब तक म्यांमार सेना के लगभग 416 जवान सीमा पार कर चुके हैं। इसके अलावा भूटान के कुछ नागरिकों ने मिजोरम के साथ-साथ मणिपुर में भी शरण ली है। भारत-म्यांमार की स्थिति पर चिंता की बात यह है कि कुछ विद्रोही समूह दबाव महसूस कर रहे हैं। इन्होंने अब म्यांमार सीमा पार करके मणिपुर राज्य में आने का प्रयास किया है। हम मणिपुर की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हमारे पास करीब 20 असम राइफल बटालियन हैं, जो भारत-म्यांमार सीमा पर तैनात हैं। सीमा पर हमारी बाड़ को और मजबूत करने की भी बात चल रही है।

जनरल मनोज पांडे ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के मुद्दे पर कहा कि आपातकालीन प्रावधानों के हिस्से के रूप में कुछ नई तकनीकों को शामिल करने के साथ युद्ध क्षेत्रों में बेहतर वाहन, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम शामिल किए गए हैं। हमारे पास विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम हैं। हमने अपनी तोपखाने इकाई का पुनर्गठन किया है। हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस की पुनर्गठित इकाइयां भी हैं। हमने अपनी पशु परिवहन इकाइयों को कम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और उनकी जगह ड्रोन ले रहे हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना 2027 तक 1 लाख सैनिकों की कटौती करने जा रही है, इसके लिए हमने सरकार को प्रस्ताव दे दिया है।

उन्होंने अग्निपथ स्कीम के बारे में सवाल उठने पर कहा कि अग्निवीरों के पहले दो बैच अब पूरी तरह से फील्ड इकाइयों में तैनात हैं और इनकी प्रतिक्रिया बहुत रोमांचक और सकारात्मक है। सेना में महिलाओं के सशक्तिकरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब तक 120 महिला अधिकारियों को कर्नल के पद पर पदोन्नत करके उन्हें स्थायी कमीशन दिया गया है। वे कमांड भूमिकाओं में हैं और उन्हें फील्ड क्षेत्रों में भी तैनात किया गया है और वे अच्छा काम कर रही हैं। जनरल मनोज पांडे ने बताया कि हम अपनी प्रतिस्पर्धी और पदोन्नति परीक्षाओं के वर्तमान आयोजन से पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में चले गए हैं और इस साल के अंत तक हमारी सभी पदोन्नति परीक्षाएं पूरी तरह से ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी।

उत्तरी सीमा के बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि यहां स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशील है। दोनों पक्षों के बीच मुद्दों के समाधान और संतुलन के समाधान खोजने के लिए बातचीत जारी है। परिचालन संबंधी तैयारियां बहुत ऊंची हैं और तैनाती मजबूत और संतुलित है। जनरल मनोज पांडे ने कहा कि वर्तमान में हमारी कोशिश 2020 के मध्य में मौजूद यथास्थिति पर वापस जाने के लिए चीन के साथ बातचीत जारी रखने की है। एक बार ऐसा हो जाए तो हम बड़े मुद्दों पर पीछे मुड़कर देख सकते हैं। तब तक हम एलएसी पर जरूरत के हिसाब से सेना तैनात करना जारी रखेंगे। सीओएएस जनरल मनोज पांडे ने यह भी कहा कि हमने चीन सीमा पर 355 सेना चौकियों की पहचान की है, जहां से हमने दूरसंचार मंत्रालय से 4जी कनेक्टिविटी मांगी है। बुनियादी ढांचे का संबंध आगे के हवाई क्षेत्रों, गांवों और हेलीपैड से भी है। हम भूमिगत भंडारण पर भी काम कर रहे हैं। एलएसी पर बुनियादी ढांचे के संबंध में हम सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं।

पूर्वोत्तर के बारे में जनरल मनोज पांडे ने कहा कि यदि आप मणिपुर में हमारी तैनाती को देखें तो यह नागरिक प्रशासन की मदद करने के लिए है। मणिपुर में पिछले साल हिंसा के पहले और बाद में असम राइफल्स और हमारी सभी इकाइयों ने बहुत संयम दिखाया है। यही कारण रहा कि हमारी ओर से कार्रवाई के कारण कोई भी आम नागरिक हताहत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि चुनौती उन हथियारों की है जो अभी भी गायब हैं, क्योंकि हिंसा के दौरान लूटे गए हथियारों में से केवल 30 फीसदी हथियार ही बरामद किए गए हैं। मणिपुर में हमारी तैनाती समन्वित है और राज्य प्रशासन के साथ समन्वय में है। उन्होंने कहा कि सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण पिछले वर्ष पूर्वोत्तर में सकारात्मक विकास हुआ है। कुल मिलाकर हिंसा के मापदंडों में कमी आई है। मणिपुर में पिछले साल मई में हिंसा देखी गई थी, लेकिन राज्य प्रशासन, सेना और असम राइफल्स के संयुक्त प्रयासों से स्थिति को स्थिर करने में सफलता मिली है। हम स्थिति को सामान्य बनाने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

पाकिस्तान की सीमा से लगे जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ जिलों के बारे में उन्होंने माना कि पिछले 5-6 महीनों में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। राजौरी और पुंछ के क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों की वृद्धि देखी गई है। सीमा पार से राजौरी पुंछ सेक्टर में प्रॉक्सी वार के लिए बुनियादी ढांचे का समर्थन जारी है। 2017-18 तक इस क्षेत्र में आतंकवाद पूरी तरह से फैल गया था लेकिन 2003 तक वहां शांति स्थापित हो गई। अब घाटी में शांति आ रही है लेकिन हमारे विरोधी इलाके में छद्म तंजीमों को बढ़ावा दे रहे हैं। पाकिस्तानी सेना राजौरी और पुंछ इलाके में आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। जहां तक सीमा की स्थिति का सवाल है तो एलओसी पर युद्ध विराम समझौता कायम है। हमारे पास हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग रोकने के लिए मजबूत ड्रोन-विरोधी तंत्र है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल

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