ईरान में शाहरुख खान की फिल्म डंकी को लेकर लोगों में गुस्सा

ईरान में शाहरुख खान की फिल्म डंकी को लेकर लोगों में गुस्सा
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ईरान में शाहरुख खान की फिल्म डंकी को लेकर लोगों में गुस्सा


- नई दिल्ली स्थित ईरान कल्चर हाउस के कल्चरल काउंसलर डॉ. एफ फरीदसर ने दी जानकारी

- कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी पर उनकी मजार पर हुए आतंकवादी हमले में विदेशी ताकतों का हाथ बताया

नई दिल्ली, 08 दिसंबर (हि.स.)। ईरान में शाहरुख खान की फिल्म 'डंकी' को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। इस फिल्म में ईरान की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है। यह जानकारी भारत स्थित ईरान कल्चर हाउस के कल्चरल काउंसलर डॉ. एफ फरीदसर ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए दी है।

उन्होंने बताया कि ईरानी विदेश मंत्रालय के जरिए भारतीय विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेज कर इस फिल्म में ईरान से संबंधित फिल्माए गए सीन के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। पत्र में इस फिल्म को सेंसर करने या फिल्माए गए कुछ सीन को हटाने की मांग की गई है। इसके साथ ही यह कहा गया है कि आगे से किसी भी फिल्म में किसी भी देश की छवि धूमिल करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

डॉ. एफ फरीदसर ने बताया कि डंकी फिल्म के साढ़े 4 मिनट की इस सीन में एक ग्रुप ब्रिटेन जा रहा है, जिसमें शाहरुख खान भी शामिल हैं। ईरान बॉर्डर पर मौजूद ईरानी सैन्य कर्मियों को रिश्वत देकर ईरान में दाखिल होने का सीन दिखाया गया है। उनका कहना है कि ब्रिटेन के रूट पर ईरान पड़ता ही नहीं है, तब ईरान को खासतौर से इस सीन में क्यों शामिल किया गया है? इसके बाद ग्रुप में शामिल महिला के साथ ईरानी सैन्यकर्मी के जरिए रेप करने का प्रयास का सीन दिखाया गया है, जो ईरान की छवि धूमिल करने वाला है। ईरान में इस तरह का कोई मामला नहीं होता है। वहां पर महिलाओं को सम्मान की नजर से देखा जाता है। और ना ही बॉर्डर पर पैसे लेकर के किसी को घुसने की सैन्यकर्मियों के जरिए इजाजत दी जाती है। यह पूरा सीन सरासर निराधार है।

उनका कहना है कि भारत में फ़िल्म व्यापार प्राइवेट सेक्टर के हाथ में है और सरकार का उसमें कोई अमल-दखल नहीं है। फिल्म बनाने वालों को पूरी स्वतंत्रता हासिल है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि किसी भी देश की छवि को इस तरह से खराब करने का प्रयास किया जाए।

इसके साथ ही उन्होंने पिछले दिनों ईरान के सुप्रीम कमांडर रहे जनरल कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी के अवसर पर उनकी मजार पर हुए आतंकवादी हमले की भी निंदा करते हुए कहा है कि इसमें 200 से अधिक लोग मारे गए हैं। इस घटना से ईरान में गम और गुस्से का माहौल है। भारत में भी इस घटना की तीखी आलोचना की जा रही है। नई दिल्ली स्थित ईरान दूतावास में लोगों के जरिए आकर विजिटर बुक पर इस घटना को लेकर शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। बड़ी तादाद में भारतीय लोग दूतावास पहुंचकर इस घटना पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस मौके पर हम राजनीतिक बात नहीं करना चाहते लेकिन यह सत्य है कि इस हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ले रहा है। इसके पीछे कई विदेशी शक्तियों का हाथ है। उनका कहना है कि इस तरह के हमलों के लिए आईएसआईएस के पास ताकत नहीं है लेकिन वह विदेशी शक्तियों के सहारे इस तरह के हमले करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि इस हमले के लिए हम किसी भी देश का नाम सीधे तौर से नहीं ले सकते हैं, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं। इस हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों के जरिए की गई धर-पकड़ से यह साबित होता है कि इसमें हमारे चित-परिचित दुश्मन का हाथ है।

हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/दधिबल

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