कृषि और किसान कल्याण विभाग और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

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कृषि और किसान कल्याण विभाग और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए


नई दिल्ली, 26 सितंबर (हि.स.)। कृषि और किसान कल्याण विभाग सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के साथ कंट्री स्टे्टजिक प्लान ( सीएसपी) 2023-2027 के कार्यान्वयन की समीक्षा की। इस दाैरान उन्होंने खाद्य कार्यक्रम और संबंधित मंत्रालयों व विभागों के सदस्यों के साथ कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और पोषण में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को लेकर कृषि और किसान कल्याण विभाग और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

बैठक में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पर्यावरण, वानिकी और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, विदेश मंत्रालय, राष्ट्रीय के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत मौसम विज्ञान विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भी सम्मिलित हुआ। समझौता ज्ञापन (एमओयू )के तहत रणनीतिक योजना(सीएसपी) में एक अधिक प्रभावी और कुशल राष्ट्रीय खाद्य-आधारित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली; विविध, पौष्टिक और गरिष्ठ खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि; महिलाओं की सामाजिक और वित्तीय गतिशीलता बढ़ाना और जलवायु-लचीली आजीविका और खाद्य प्रणालियों के निर्माण के लिए अनुकूली क्षमता को मजबूत करना शामिल है।

मंत्रालय के मुताबिक, सीएसपी के तहत पहल की प्रगति का समन्वय और समीक्षा करने के लिए डॉ. देवेश चतुर्वेदी की अध्यक्षता में एक कंट्री प्रोग्राम एडवाइजरी कमिटी (सीपीएसी) का गठन किया गया है। संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग के संयुक्त सचिव सीपीएससी के सदस्य हैं। समिति की बैठक कम से कम वार्षिक रूप से होती है। सीएसपी की प्रगति और उपलब्धियों की समीक्षा और चर्चा करने के लिए यह पहली बैठक थी।

कृषि और किसान कल्याण विभाग की कंट्री निदेशक एलिजाबेथ फॉरे ने समिति को सीएसपी के विभिन्न लक्षित परिणामों की स्थिति के बारे में जानकारी और असम, ओडिशा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में चल रही विभिन्न पहलों पर रिपोर्ट दी। इस रिपाेर्ट में कृषि में बदलाव और छोटे किसानों के लिए खाद्य सुरक्षा बढ़ाना शामिल है। जिसमें मोटे अनाजों को मुख्यधारा में लाने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास; 'सुरक्षित मत्स्य पालन' अनुप्रयोगों के माध्यम से मछली पकड़ने वाले समुदायों में लचीलापन बनाना; सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को अनुकूलित करने की पहल; अन्नपूर्ति पहल खाद्यान्न एटीएम प्रदान करती है और स्कूल पोषक-उद्यान; एंड्रिस फोर्टिफिकेशन आदि शामिल हैं।

बैठक के दाैरान डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने अधिकारियों को विभिन्न पहलुओं को पहचान कर उन्हें मंत्रालयों व विभागों के चल रहे कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए एक तंत्र तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने विशेष रूप से विभाग के अधिकारियों के साथ कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहलों और पायलटों को प्रस्तुत और चर्चा करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने की सलाह दी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यक्रमों के पोषण संबंधी परिणामों तक पहुंचने के दौरान हमें भारतीय आबादी के लिए लागू पोषण मानदंडों पर भी गौर करना चाहिए। विभिन्न अनाजों की मौजूदा फोर्टिफाइड किस्मों के साथ-साथ लाल और काले चावल और बाजरा की मौजूदा स्थानीय किस्मों को भी लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए। उन्होंने किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को विभिन्न पहल शुरू करने की संभावनाएं तलाशने की भी सलाह दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिरंचि सिंह

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