अमेरिकी चिनूक-अपाचे के मुकाबले वायु सेना का स्वदेशी हेलीकॉप्टरों पर फोकस

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अमेरिकी चिनूक-अपाचे के मुकाबले वायु सेना का स्वदेशी हेलीकॉप्टरों पर फोकस


- विदेशी निर्भरता की वजह से वायु सेना को अपनी खरीद नीति में बदलाव करना पड़ा

- प्रभावी क्षमताओं के बावजूद अमेरिकी हेलीकॉप्टरों की परिचालन लागत थी ज्यादा

नई दिल्ली, 02 जनवरी (हि.स.)। भारतीय वायु सेना ने अपने हेलीकॉप्टर बेड़े में बदलाव करने का फैसला लिया है। लड़ाकू या परिवहन हेलीकॉप्टर खरीदने की रणनीति में आयात के बजाय घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है। अभी तक वायु सेना अमेरिकी लड़ाकू अपाचे और परिवहन चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना बना रही थी, लेकिन अब स्वदेशी एलसीएच प्रचंड और भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) की ओर फोकस किया जा रहा है।

वायु सेना ने अमेरिका से 2020 में 15 चिनूक परिवहन हेलीकॉप्टर खरीदे थे, जो मानवीय और आपदा राहत कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अमेरिका में निर्मित चिनूक हेलीकॉप्टर मल्टी रोल वर्टिकल लिफ्ट प्लेटफॉर्म है, जिसका इस्तेमाल पुरुषों और सामग्री के परिवहन के लिए किया जाता है। इस हेलीकॉप्टर ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के दौरान 155 मिमी की एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर पहुंचाकर भारतीय सेना को अग्रिम ठिकानों पर बढ़त दिलाई है। ये हेलीकॉप्टर लगभग 11 टन कार्गो या 45 सशस्त्र सैनिकों को एक साथ उठा सकते हैं। इसके बावजूद इनकी उच्च परिचालन लागत और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता के कारण वायु सेना को अपनी खरीद नीति में बदलाव करना पड़ा है।

वायु सेना एचएएल में निर्मित भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) पर अपना दांव लगा रही है, जो सेना और कार्गो परिवहन, लड़ाकू खोज, बचाव और आपदा राहत सहित कई कार्यों के लिए एक छोटा और अधिक किफायती विकल्प है। यह हेलीकॉप्टर चिनूक की तुलना में अधिकतम टेकऑफ कर सकता है। इसके अलावा वायुसेना ने रूसी एमआई-26 हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों के अपने बेड़े को पुनर्जीवित किया है, जो पांच साल से अधिक समय से जमीन पर थे। अब यह हेलीकॉप्टर अधिक क्षमता के साथ रूस में ओवरहाल से गुजरेंगे और इसी साल के अंत तक सेवा में लौट आएंगे। इससे आईएमआरएच का विकास होने तक वायु सेना को भारी-लिफ्ट आवश्यकताओं के लिए अस्थायी विकल्प मिल जाएगा।

इसी तरह अमेरिकी लड़ाकू अपाचे के बजाय वायु सेना ने दुनिया के पहले लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड खरीदने पर जोर दिया है। केंद्र सरकार ने पिछले साल 30 नवंबर को वायुसेना के लिए स्वदेशी 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी दे दी है। प्रचंड से पहली बार 30 अक्टूबर को 70 मिमी रॉकेट और 20 मिमी बुर्ज गन की दिन और रात के समय फायरिंग की गई थी। स्वदेशी हल्का अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) ‘प्रचंड’ भारतीय सेना और वायुसेना के लिए नई ताकत बनकर उभरा है। देश की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन ‘धनुष’ राजस्थान के जोधपुर में पिछले साल 03 अक्टूबर को शुरू की गई थी। सेना ने इसे असम के मिसामारी में तैनात किया है, जहां से चीन सीमा महज 250 किमी. दूरी पर है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन

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