अगले साल फिर मिलने की दुआ के साथ अजमेर से विदा हुए पाकिस्तान के जायरीन

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अगले साल फिर मिलने की दुआ के साथ अजमेर से विदा हुए पाकिस्तान के जायरीन


अजमेर, 10 जनवरी (हि.स)। राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के 813वें सालाना उर्स में शामिल होने आए 91 सदस्यीय पाकिस्तानी जायरीनों का जत्था शुक्रवार को शताब्दी एक्सप्रेस में लगाए स्पेशल कोच से दिल्ली-अमृतसर होते हुए पाकिस्तान के लिए अजमेर से रवाना हो गया।

उर्स व्यवस्थाओं से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी सुरेश सिंधी ने बताया कि इस दौरान पाकिस्तान से आए 89 जायरीनों और दूतावास के दो अधिकारियों ने यहां तीन दिन प्रवास किया। उन्हें सेंट्रल गल्र्स स्कूल में बनाए अस्थाई विश्रामालय में रखा गया था। यहां उन्हें तमाम सुरक्षा प्रबंधों के साथ ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत कराई और अजमेर के बाजारों में मुक्त होकर खरीदारी कराई गई। पाकिस्तान के जायरीन यहां से कुकर, हेलमेट, नमकीन, साड़ी, सोनहलवा और चूड़ियां सहित हजारों रुपये का सामान साथ में ले गए।

सिंधी ने बताया कि पाकिस्तान से आए जायरीनों ने अगले साल फिर मिलने की दुआ के साथ अजमेर रेलवे स्टेशन से विदा ली। जायरीन ने अजमेर ख्वाजा के उर्स में सुख और सुकून पाया, ऐसा उन्होंने अधिकारियों से बातचीत में कहा। यहां की व्यवस्थाओं की सराहना की।

उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 में हुए सामाजिक एवं सांस्कृतिक समझौते के तहत दोनों देशों के नागरिकों को धार्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन के लिए भेजा जाता है। यह पहला अवसर है जब पाकिस्तान से जायरीन का जत्था सिर्फ 91 सदस्यीय रहा। इससे पूर्व में लगभग 300 से 500 जायरीनों का जत्था अजमेर जियारत के लिए आया करता था। इसके पीछे बताया जाता है कि पाकिस्तान में हालात सुख शांति वाले नहीं रहने तथा भारतीय दूतावास से भी जायरीन जत्थे के सुरक्षा प्रबंधों को ध्यान में रखते हुए जायरीन की संख्या को पहले से कम कर दिया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

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