एम्स नई दिल्ली ने स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में एक मानक स्थापित किया है : राष्ट्रपति


वर्ष 2018 से चिकित्सा श्रेणी में एनआईआरएफ रैंकिंग में शीर्ष पर है एम्स नई दिल्ली : जेपी नड्डा
नई दिल्ली, 21 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को भारत मंडपम में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के 49वें दीक्षांत समारोह में कहा कि एम्स नई दिल्ली ने स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में एक मानक स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि आज स्नातक होने वाले डॉक्टर और शोधकर्ता हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि एम्स गीता के कर्मयोग की चलती हुई प्रयोगशाला है।
दीक्षांत समारोह के दौरान विभिन्न विषयों में कुल 1,886 डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें 77 पीएचडी स्कॉलर, 363 डीएम एवं एमसीएच विशेषज्ञ, 572 एमडी, 76 एमएस, 49 एमडीएस, 74 फेलोशिप, 172 एमएससी, 191 एमबीबीएस और 312 बीएससी शामिल हैं। एम्स में सराहनीय सेवाओं के लिए 8 डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 28 छात्रों और डॉक्टरों को पदक और पुस्तक पुरस्कार जबकि 9 को प्रशंसा पुरस्कार दिए गए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एम्स एक गौरवपूर्ण मेड-इन-इंडिया सफलता की कहानी है और यह पूरे देश में अनुकरणीय मॉडल है। यह विशेष रूप से कोविड-19 जैसी महामारी के समय में पथप्रदर्शक अनुसंधान में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा, “एम्स की जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अनुसंधान से परे है। यह एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने तक फैली हुई है जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाती है, जहां संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाता है और जहां उत्कृष्टता आदर्श है।”
आज स्वास्थ्य सेवा में चुनौतियों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य सेवा में प्रगति के साथ जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है। परिणामस्वरूप वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ रही है, जिससे इस क्षेत्र में नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। साथ ही, चिकित्सा पेशा आधुनिक समय में जीवनशैली में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों से जूझ रहा है। उन्होंने एम्स नई दिल्ली के संकाय से मानसिक स्वास्थ्य पर जागरुकता अभियान शुरू करने का आग्रह किया ताकि लोगों को इस छिपी हुई बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अल्पकालिक प्रयोग करती है जबकि आयुर्वेद, योग और चिकित्सा की कई पारंपरिक प्रणालियां मानव स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाती हैं। इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी मामलों से निपटने में आधुनिकता और परंपरा का मिश्रण पेश करने के लिए भारत की प्राचीन स्वास्थ्य उपचार पद्धतियों को अपनाने के लिए एम्स नई दिल्ली की सराहना की। उन्होंने एम्स से स्वास्थ्य देखभाल प्रोटोकॉल में लैंगिक समानता लाने के लिए अभियान शुरू करने का भी आह्वान किया, क्योंकि यह देखा गया है कि हृदय रोग और अन्य बीमारियों से पीड़ित अधिकांश रोगी मुख्य रूप से पुरुष हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि आज एम्स ने केवल देश में बल्कि दुनिया में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता के रूप में खड़ा है। निरंतर सीखने और विकास के प्रति प्रतिबद्धता ने एम्स नई दिल्ली को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है, जहां यह 2018 से चिकित्सा श्रेणी में एनआईआरएफ रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर है। एम्स ने देश की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं का लगातार विस्तार किया है। एम्स की कुछ हालिया उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए नड्डा ने कहा कि एम्स ने खुद को एआई-संचालित डायग्नोस्टिक्स और रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है। यह भारत का पहला चिकित्सा संस्थान है जिसने कई अभूतपूर्व प्रक्रियाएं की हैं, जिसमें दोहरी किडनी प्रत्यारोपण और रीनल ऑटो-ट्रांसप्लांट शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छात्रों को देश में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को प्रभावी ढंग से बेहतर बनाने के लिए एम्स जैसे प्रमुख संस्थान में अर्जित अपनी प्रतिभा, कौशल और ज्ञान को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि यदि उन्हें वहां सेवा करने का अवसर मिले तो वे एम्स नई दिल्ली की कार्यनीति और संस्कृति को देश में नव स्थापित एम्स और तृतीयक देखभाल संस्थानों में भी अपनाएं।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार