पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
-पांच क्वुंटल फूलों से सजाया गया मंदिर, सात सौ से अधिक तीर्थयात्री और स्थानीय श्रद्धालुजन कपाट बंद होने के समय रहे मौजूद
गुप्तकाशी, 22 नवंबर (हि.स.)। पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए आज बुधवार 22 नवंबर को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र कुंभ राशि में प्रात: साढ़े आठ बजे विधि -विधान पूजा अर्चना के बाद बंद हो गये। कपाट बंद होने के समय सात सौ से अधिक तीर्थयात्री और स्थानीय श्रद्धालु मौजूद रहे। इस अवसर पर मंदिर को दानीदाता के सहयोग से पांच क्वुंटल फूलों से सजाया गया था।
कपाट बंद हेोने की तैयारियों के बीच आज आज प्रात: चार बजे श्री मद्महेश्वर मंदिर खुला। भगवान मद्महेश्वर की जलाभिषेक पूजा हुई। साढ़े सात बजे तक श्रद्धालु दर्शन करते रहे, उसके पश्चात पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की। भगवान शिव और भैरव नाथ की पूजा-अर्चना हुई। भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप देकर स्थानीय फूलों- शुष्क पुष्पों और राख से उन्हें ढ़क दिया गया। इसके बाद मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली के सभामंडप से बाहर आते ही साढे़ आठ बजे श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद कर दिये गये।
भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली ने भगवान मद्महेश्वर के मंदिर भंडार, पूजा और भोग के तांबे-पीतल धातु निर्मित पुरातन बर्तनों का निरीक्षण किया गया। कपाट बंद होने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए श्री मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान हुई।
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भगवान श्री मद्महेश्वर के कपाट बंद होने पर शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने बताया कि श्री मद्महेश्वर यात्रा को सुगम बनाने के लिए मंदिर समिति प्रयासरत है।
उन्होंने बताया कि द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट बंद होने के साथ ही इस यात्रा वर्ष 2023 का समापन हो गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा-मार्गदर्शन और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में चारधाम यात्रा में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्री हेमकुंड साहिब सहित उत्तराखंड चारधाम में इस बार यात्रा वर्ष 2023 में 56 लाख तीर्थयात्री इन धामों में दर्शन करने पहुंचे हैं, जो पिछले वर्ष से 10 लाख अधिक है। श्री केदारनाथ धाम में 19 लाख 61 हजार, श्री बदरीनाथ धाम में 18 लाख चालीस हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने को पहुंचे। विषम भौगोलिक परिस्थिति के बावजूद तेरह हजार श्रद्धालु श्री मद्महेश्वर मंदिर और पहली बार एक लाख छत्तीस हजार श्रद्धालु तृतीय केदार श्री तुंगनाथ में दर्शन करने पहुंचे हैं।
मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने और चलविग्रह डोली के प्रस्थान तैयारियों के लिए निर्देश दिये गये हैं।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया श्री मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली आज 22 नवंबर को गौंडार गांव पहुंचेगी। 23 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवंबर को गिरिया और 25 नवंबर को चल विग्रह डोली पंच केदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचेगी। इसके साथ श्री मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी। 25 नवंबर को उखीमठ में मुख्य रूप से श्री मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा।
इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, डोली प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, मृत्युंजय हीरेमठ, सूरज नेगी, दिनेश, बृजमोहन, संदीप नेगी, बृजमोहन कुर्मांचली, गौंडार गांव के हक हकूकधारी, पुलिस प्रशासन प्रतिनिधि सहित वन विभाग के कर्मचारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।
कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने जानकारी दी कि इस यात्रा वर्ष 12777 बारह हजार सात सौ सतहत्तर श्रद्धालु भगवान मद्महेश्वर के दर्शन को पहुंचे हैं।
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि श्री मद्महेश्वर भगवान की चलविग्रह डोली के 25 नवंबर को श्रीओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचने पर मंदिर समिति और स्थानीय श्रद्धालु स्वागत करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिपिन सेमवाल/रामानुज
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