आचार्य विद्यासागर जी का अस्थि संचय हुआ, अस्थि कलश जमीन में दबाया जाएगा, उसी जगह बनेगी समाधि
रायपुर , 20 फरवरी (हि.स.)। आचार्य विद्यासागर जी महाराज के समाधिस्थ होने के बाद मंगलवार को उनका अस्थि संचय किया गया। अस्थियों को शुद्धिकरण के बाद एक कलश में रखा गया है। आचार्य श्री शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 2:35 बजे ब्रह्मलीन हो गए थे। रविवार को जैन परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
जैन धर्म में अस्थियों को जल में विसर्जित नहीं किया जाता। आचार्य विद्या सागर जी की अस्थियों का कलश में संकलन किया गया। उसके बाद उसे जमीन में दबाया जाएगा। जिस जगह पर अस्थि कलश दबाया जाएगा, वहीं उनकी समाधि बनाई जाएगी।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में विद्यासागर जी की अस्थि संचय क्रिया पूज्य मुनि श्री महासागर जी के सानिध्य में हुई। आचार्य जी की अस्थि लेने के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और ओडिशा समेत कई राज्यों से लोग पहुंच रहे हैं।
मुनि समय सागर महाराज को गद्दी सौंपी जाएगी-
आचार्य विद्या सागर जी ने छह फरवरी को मुनि योग सागर से चर्चा के बाद आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने मुनि समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा की थी। मुनि समय सागर के चंद्रगिरी तीर्थ पहुंचने के बाद विधिवत तरीके से उन्हें आचार्य की गद्दी सौंपी जाएगी। मुनि समय सागर जी 43 साधुओं के साथ पैदल यात्रा कर 22 फरवरी को बालाघाट से डोगरगढ़ पहुंचेंगे। वहां उन्हें विधिवत रूप से आचार्य की गद्दी सौंपी जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/गेवेन्द्र/पवन
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