दिल्ली राष्ट्रीय अधिवेशन में दत्ताजी डिडोलकर पर प्रदर्शनी लगाएगी अभाविप

दिल्ली राष्ट्रीय अधिवेशन में दत्ताजी डिडोलकर पर प्रदर्शनी लगाएगी अभाविप
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दिल्ली राष्ट्रीय अधिवेशन में दत्ताजी डिडोलकर पर प्रदर्शनी लगाएगी अभाविप


नई दिल्ली, 01 दिसंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के दिल्ली में 7 से 10 दिसंबर तक आयोजित हो रहे 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन में एक विशाल प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यह प्रदर्शनी विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्य तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे स्व. दत्ताजी डिडोलकर को समर्पित है। विशाल प्रदर्शनी सभागार का नाम 'दत्ताजी डिडोलकर प्रदर्शनी सभागार' रखा गया है। उल्लेखनीय है कि यह वर्ष दत्ताजी डिडोलकर का जन्म शताब्दी वर्ष है।

परिषद के मुताबिक दत्ताजी डिडोलकर को समर्पित प्रदर्शनी में कुल आठ थीम रखे गए हैं, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज तथा हिंदवी स्वराज्य, दिल्ली का वास्तविक इतिहास, स्वाधीनता आंदोलन की गौरवगाथा, विश्वगुरु भारत, विद्यार्थी परिषद का 75 वर्षों का इतिहास, विविध क्षेत्रों में अभाविप के आयामों के कार्य, राष्ट्रीय एकात्मता, पर्यावरण आदि विषय केन्द्र में रहेंगे। इस प्रदर्शनी को मूर्त रूप देने के लिए बीते एक महीने से अधिक समय से देशभर के अलग-अलग आर्ट्स महाविद्यालयों के 200 विद्यार्थी तैयारियों में जुटे थे, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज, दिल्ली के इतिहास, राष्ट्रीय एकात्मता तथा स्वाधीनता आंदोलन पर 160 से अधिक पेंटिंग बनाई हैं।

प्रदर्शनी स्थल पर ही मिट्टी तथा बालू से अलग-अलग कलाकृतियां उकेरी जाएंगी। दिल्ली के बुराड़ी क्रासिंग के पास स्थित विशाल डीडीए ग्राउंड में यह प्रदर्शनी सभागार बन चुका है, जहां पर पेंटिंग लगाई जा रही हैं। दत्ता जी डिडोलकर प्रदर्शनी में महाभारतकाल से लेकर अब तक दिल्ली के इतिहास, देश के विभिन्न हिस्सों स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े पक्षों, अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों, विभिन्न लेख, पुस्तक, अभाविप की 75 वर्षों की ध्येय यात्रा, छात्र आंदोलनों को भी प्रमुखता से जगह मिलेगी। बुराड़ी क्रासिंग के पास स्थित डीडीए ग्राउंड में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए एक पूरी टेंट सिटी बसाई गई है, जिसका नाम इंद्रप्रस्थ नगर रखा गया है। इसी टेंट सिटी में पूरे देश से अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग ले रहे दस हजार विद्यार्थी चार दिनों तक रहेंगे।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने बताया कि भारत को समझने के लिए युवाओं को भारतीय दृष्टि से इतिहास का अध्ययन करना होगा। दत्ताजी डिडोलकर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है, शैक्षणिक संस्थानों में सुधार, विवेकानन्द शिला स्मारक, कन्याकुमारी की स्थापना में प्रमुख भूमिका सहित उनके विभिन्न प्रयास वर्तमान की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनका पूरा जीवन देश के अनेक सकारात्मक बदलावों को समर्पित रहा है। दत्ताजी डिडोलकर पर आधारित प्रदर्शनी विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से भाग ले रहे हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/दधिबल

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