हिजाब मामले में गुरुवार को भी होगी सुनवाई, सरकार व शिक्षकों की दलीलों का जवाब देगा याचिकाकर्ता पक्ष

हिजाब मामले में गुरुवार को भी होगी सुनवाई, सरकार व शिक्षकों की दलीलों का जवाब देगा याचिकाकर्ता पक्ष


हिजाब मामले में गुरुवार को भी होगी सुनवाई, सरकार व शिक्षकों की दलीलों का जवाब देगा याचिकाकर्ता पक्ष


नई दिल्ली, 21 सितंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हिजाब मामले में बुधवार को नौवें दिन की सुनवाई पूरी कर ली। आज राज्य सरकार के अलावा उन कॉलेज शिक्षकों की ओर से भी जिरह की गई जिन्होंने कॉलेज में हिजाब पहनकर प्रवेश से मना किया था। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार (22 सितंबर) को याचिकाकर्ता पक्ष को सरकार और शिक्षकों की दलील का जवाब देने को कहा है। उसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया जाएगा।

आज की सुनवाई पूरी होने पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने मुस्कुराते हुए कहा कि हम 21 वकीलों को सुन चुके हैं। अब हम धैर्य खो रहे हैं। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को हिजाब के पीछे की साजिश के मामले में दाखिल चार्जशीट और सर्कुलर में लिखे कन्नड़ शब्दों के अनुवाद की प्रति देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवाडगी ने कहा कि हिजाब कोई अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है। कुरान में उसके जिक्र मात्र से वो धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं हो जाता। कुरान में लिखा हर शब्द अनिवार्य परंपरा नहीं कहा जा सकता है। तब जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हिजाब समर्थक पक्ष का मानना है कि जो भी कुरान में लिखा है, वो अल्लाह का आदेश है। उसे मानना अनिवार्य है। तब नवाडगी ने कहा कि हम कुरान के विशेषज्ञ नहीं हैं, पर खुद सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला है कि कुरान में मौजूद हर शब्द धार्मिक हो सकता है, पर जरूरी नहीं कि वो अनिवार्य धार्मिक परंपरा हो।

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि मैं लाहौर हाई कोर्ट के एक जज को जानता हूं, वो भारत भी आया करते थे। मैंने कभी उनकी लड़कियों को हिजाब पहने हुए नहीं देखा। यूपी और पटना मैं जब जाता हूं, कई मुस्लिम परिवारों से बातचीत होती है। मैंने किसी महिला को हिजाब पहने नहीं देखा।

20 सितंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को बढ़ाता है। यह संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत एक संरक्षित अधिकार है। दवे ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्थिर है और अवैध है। हाई कोर्ट का फैसला अनुच्छेद 14, 19, 21 और 25 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने अनिवार्य धार्मिक परंपरा की कसौटी पर सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने की वैधता का परीक्षण करने में गलती की।

29 अगस्त को कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक की दो छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में हिंदू सेना के नेता सुरजीत यादव ने भी कैविएट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के फैसले पर रोक का एकतरफा आदेश न देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के सरकार के निर्णय को बरकरार रखा। हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

हिजाब मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उलेमाओं की संस्था समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने भी याचिका दाखिल की है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि हाई कोर्ट का फैसला इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या है। मुस्लिम लड़कियों के लिए परिवार के बाहर सिर और गले को ढंक कर रखना अनिवार्य है।

हिन्दुस्थान समाचार/ संजय

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