हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर: 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव ने रचा नया इतिहास

WhatsApp Channel Join Now
हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर: 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव ने रचा नया इतिहास


हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर: 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव ने रचा नया इतिहास


हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर: 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव ने रचा नया इतिहास


हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर: 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव ने रचा नया इतिहास


हरिद्वार, 20 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली द्वारा आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के अंतर्गत, पतंजलि विश्वविद्यालय की मेजबानी में विश्वप्रसिद्ध हर की पौड़ी पर भव्य आयोजन में सामूहिक रूप से शास्त्रों के श्रावण के बीच हुई भव्य गंगा आरती ने एक विश्व कीर्तिमान रच दिया।

गुरुवार को संध्याकाल में सम्पन्न यह केवल एक साधारण आध्यात्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि एक ऐतिहासिक क्षण था, जब देश के कोने-कोने से पहुंचे हजारों विद्वानों और श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से शास्त्रों का श्रावण किया और एक साथ गंगा आरती में भाग लेकर एक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की ऋचाएँ, उपनिषदों के श्लोक, भगवद्गीता के संदेश और योगसूत्रों के गूढ़ वचन—यह सब मिलकर एक ऐसा दिव्य महासंगीत प्रस्तुत कर रहे थे, जिसमें अध्यात्म, दर्शन और भक्ति की त्रिवेणी का संगम स्पष्ट झलक रहा था।

शास्त्र श्रावण के उपरांत, जैसे ही गंगा आरती का शुभारंभ हुआ, पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं गंगा माता अपने भक्तों की श्रद्धा को स्वीकार कर रहीं हों। यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी जड़ों की ओर लौटने का एक प्रयास था। इससे यह सिद्ध हुआ कि भारतीय सभ्यता आज भी वेदों की ऋचाओं, योग की साधना, और आयुर्वेद के ज्ञान के साथ विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है।

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि शास्त्र केवल शब्द नहीं, यह अमृत ज्ञान है। जब तक भारत अपनी संस्कृति और सनातन परंपरा को अपनाएगा, तब तक विश्व में आध्यात्मिकता और शांति का प्रवाह बना रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने सनातन का उदघोष करते हुए समर्थ और संगठन होकर विकसित भारत बनाने की बात कही।

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति और आचार्य बालकृष्ण ने संध्या आरती और शास्त्र श्रावण को विशेष बताते हुए सनातन धर्म को जीवन में उतारने की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि वेद और शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने पतंजलि विश्वविद्यालय की इस पहल को विश्व कीर्तिमान बताते हुए कहा कि आज हजारों छात्रों ने एक साथ शास्त्र कंठपाठ कर वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है। इसके साथ उन्होंने संस्कृत भाषा, वेद और शास्त्र और भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के महत्व पर बल दिया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

Share this story