इंदौरः बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में हुई 36 लोगों की मौत के मामले में 265 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश

इंदौरः बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में हुई 36 लोगों की मौत के मामले में 265 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश
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इंदौरः बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में हुई 36 लोगों की मौत के मामले में 265 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश


-मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव और निगम व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को माना दोषी

इंदौर, 06 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे में हुई 36 लोगों की मौत के मामले में शनिवार को मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट और आपराधिक प्रकरण की 265 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की गई। रिपोर्ट में बेलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव, नगर निगम के तत्कालीन और वर्तमान जोनल अधिकारी और जल संसाधन विभाग के तत्कालीन और वर्तमान अधिकारियों को हादसे के लिए दोषी ठहराया गया है। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है।

गौरतलब है कि 30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन इंदौर शहर के स्नेह नग (पटेल नगर) स्थित बलेश्वर महादेव झुलेलाल मंदिर स्थित बावड़ी की छत धंसने से करीब 36 लोगों की मौत हो गई थी और 18 लोग घायल हुए थे। मामले में पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने दो अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग है। उच्च न्यायालय में दायर याचिका में उन्होंने बावड़ी हादसे में जान गंवाने वालों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के तौर पर मुआवजा देने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने शहर की विभिन्न बावड़ियों और खुले पड़े कुओं से तत्काल कब्जे हटाए जाने और उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी कर मामले की जांच करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने पिछली सुनवाई में मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।

मुख्यमंत्री ने दिए थे मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

रामनवमी पर बेलेश्वर महादेव और झूलेलाल मंदिर में हवन चल रहा था। सुबह करीब पौने बारह बजे जिस जमीन पर हवन कुंड बना था और श्रद्धालु बैठे थे, वह धंस गई और 50 से ज्यादा लोग बावड़ी में गिर गए। तमाम लोगों को बाद में पता चला कि बगीचे की प्राचीन बावड़ी पर स्लैब डालकर ही मंदिर बनाया गया था। 24 घंटे से ज्यादा बचाव कार्य चला था। हादसे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। हादसे के नौ महीने बाद एसडीएम और अपर कलेक्टर ने जांच कर रिपोर्ट उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की है।

हादसे के बाद पुलिस ने सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पूर्व पार्षद रहे गलानी बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और सबनानी ट्रस्ट के सचिव हैं। यही ट्रस्ट इस मंदिर का प्रबंधन और रखरखाव करता था। मजिस्ट्रियल कमेटी ने ट्रस्ट के दोनों पदाधिकारियों के साथ ही नगर निगम के जोनल अधिकारियों, बचाव में लगी टीमों के अधिकारियों के साथ नगर व ग्राम निवेश विभाग के अधिकारियों, हादसे में घायल और मृतक के परिवार के लोगों के साथ पटेल नगर के रहवासी परिवारों के बयान भी दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई। इस दौरान राजस्व से लेकर नगर निगम के भू-रिकार्ड का भी अवलोकन किया। इसमें पता चला कि नगर निगम कई बार बगीचे में हो रहे अवैध मंदिर निर्माण के विरुद्ध मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी कर चुका था। हालांकि इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

जिम्मेदारी निगम पर डालने की कोशिश फिर भी नहीं बचे ट्रस्टी

बेलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष गलानी और सचिव सबनानी ने हादसे से पल्ला झाड़ते हुए जांच समिति को बयान दिया था कि बावड़ी प्राचीन थी, उस पर स्लैब करीब 30 साल पहले नगर निगम ने ही डाला था। मंदिर ट्रस्ट तो बावड़ी को खुलवाकर उसे साफ करवाकर जनउपयोगी बनाना चाह रहा था। इसीलिए पास में नए मंदिर का निर्माण हो रहा था। दोनों पदाधिकारियों ने निगम पर हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि ट्रस्ट तो काफी बाद में बना, उससे वर्षों पहले स्लैब निगम ने डाला, इसलिए नगर निगम ही जिम्मेदार है।

ट्रस्टियों को मालूम था नीचे बावड़ी है

जांच समिति ने निष्कर्ष दिया कि जांच समिति को दिए बयान और निगम को नोटिस के बदले दिए जवाब में ट्रस्टियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें मंदिर के नीचे बावड़ी होने की जानकारी थी। इसके बाद भी उन्होंने हवन के लिए उस पर भीड़ जुटाई। स्लैब पर बने हवन कुंड की गर्मी और वहां जमा लोगों के वजन से स्लैब धंसा और हादसा हुआ। ऐसे में सीधे तौर पर दोनों ट्रस्टी इसके जिम्मेदार हैं।

निगम भी कम दोषी नहीं

जांच समिति ने कहा कि नगर निगम के क्षेत्रीय भवन अधिकारी और जोनल अधिकारी भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं। निगम के सर्वे में इस बावड़ी का उल्लेख नहीं मिला। साफ है कि सर्वे में लापरवाही बरती गई। दूसरी ओर अवैध निर्माण के लिए मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भी दिया जाता रहा, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। क्षेत्र के कई युवाओं को पता ही नहीं था कि मंदिर के नीचे 70 फीट गहरी बावड़ी है। मंदिर ट्रस्ट या नगर निगम ने मंदिर के बाहर बावड़ी की जानकारी होने संबंधी सूचना या चेतावनी का बोर्ड भी नहीं लगाया।

जांच रिपोर्ट में नौ बिंदुओं में हादसे का कारण और जिम्मेदारी तय करते हुए स्पष्ट लिखा गया है कि मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को जानकारी थी कि मंदिर के नीचे बावड़ी है। फिर भी हवन के लिए भीड़ जुटाकर लोगों को बैठाया गया। नगर निगम के अधिकारी भी दोषी हैं, जिन्होंने निगम के सर्वे में लापरवाही करते हुए इस बावड़ी को गायब कर दिया और समय रहते अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं की। स्लैब से सालों पहले ढंकी बावड़ी में पानी भी था। लोगों के शव ढूंढने के लिए बावड़ी में मोटर डालकर पानी को बाहर निकाला गया था।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश

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