बंगाल के लिए राजनीतिक हिंसा का साल रहा वर्ष 2023

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बंगाल के लिए राजनीतिक हिंसा का साल रहा वर्ष 2023


बंगाल के लिए राजनीतिक हिंसा का साल रहा वर्ष 2023


कोलकाता, 28 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2023 विदा होने को है और नए साल का इंतजार पूरा देश कर रहा है। ऐसे में बीत रहा वर्ष अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग खट्टी मीठी यादें देकर जा रहा है। बंगाल के लिए भी यह साल बेहद खास रहा। इस साल राज्य में पंचायत के चुनाव हुए जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शानदार जीत तो हासिल की लेकिन हर साल की तरह इस साल भी पंचायत का चुनाव राजनीतिक हिंसा का जख्म दे गया है। जुलाई महीने में हुए पंचायत चुनाव की शुरुआत से लेकर खत्म होने के बाद तक कम से कम 50 से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई जिसमें खुद सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के 19 कार्यकर्ता शामिल थे।

इस साल आठ जुलाई को ग्राम पंचायतों की कुल 62 हजार 404 एवं पंचायत समिति की नौ हजार 498 सीटों पर चुनाव हुए। इसके साथ ही 18 जिला परिषदों में कुल 928 सीटों को लेकर चुनाव हुए थे। कुल मिलाकर पंचायत चुनाव में 72 हजार 830 सीटों पर मतदान हुए थे। चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही मुर्शिदाबाद में तृणमूल और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा की शुरुआत हो गई थी।

मतदान के दिन मतदान केंद्रों पर जमकर बमबाजी हुई थी। राज्यपाल मतदान के दिन चुनाव केंद्रों पर घूमते रहे, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्रीय बलों की तैनाती आवश्यकता अनुरूप राज्य प्रशासन में की ही नहीं। मुख्य चुनाव अधिकारी राजीव सिन्हा पर हाई कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा। इसकी सुनवाई अभी भी चल रही है।

सबसे अधिक हिंसा ग्रस्त रहा दक्षिण 24 परगना

सबसे अधिक हिंसा दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में हुई। हुगली जिला हो या मुर्शिदाबाद का बहरमपुर में भी खूब राजनीतिक संघर्ष हुए।

बैलेट पेपर की लूट

पंचायत चुनाव में मतदान के दौरान बूथ कैप्चरिंग से लेकर बैलेट पेपर लूट की सैंकड़ों घटनाएं घटी थीं और बाद में बैलेट पेपर कहीं तालाब में, तो कहीं कूड़ेदान में पड़े मिले थे। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने चुनावी हिंसा से लेकर बूथ कैप्चरिंग का आरोप खारिज कर दिया था।

पंचायत चुनाव में तृणमूल ने हासिल की जीत

11 जुलाई को पंचायत चुनाव के परिणाम आए थे। चूंकि बैलेट पेपर से मतदान हुआ था इस कारण चुनाव परिणाम अगले दिन 12 जुलाई तक आते रहे। चुनाव परिणाम में तृणमूल का दबदबा रहा। साढ़े 35 हजार से ज्यादा सीटें तृणमूल कांग्रेस ने जीती। भाजपा दूसरे नंबर पर रहते हुए पहली बार 9877 सीटें जीती थी, लेकिन तृणमूल ने सभी 20 जिला परिषदों पर भी कब्जा जमाया था। राज्य में कुल 928 जिला परिषद की सीटों में से 880 सीटें जीतकर कब्जा जमाया था। 18 जिला परिषदों में चुनाव हुए थे जबकि दो में तृणमूल ने निर्विरोध जीत दर्ज की थी।

हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा/वीरेन्द्र

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