सज-धज कर तैयार हुआ 14 किलोमीटर का उत्तरवाहिनी नर्मदा का परिक्रमा मार्ग

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सज-धज कर तैयार हुआ 14 किलोमीटर का उत्तरवाहिनी नर्मदा का परिक्रमा मार्ग


सज-धज कर तैयार हुआ 14 किलोमीटर का उत्तरवाहिनी नर्मदा का परिक्रमा मार्ग


उत्तरवाहिनी पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा 29 मार्च से शुरू होगी, एक महीने तक चलेगी परिक्रमा

राजपीपला, 27 मार्च (हि.स.)। गुजरात में वडोदरा और नर्मदा से होकर गुजरने वाली नर्मदा नदी जिले में लगभग 6 किलोमीटर तक उत्तर दिशा में बहती है, इसीलिए प्रति वर्ष चैत्र महीने में उत्तरवाहिनी पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा आयोजित की जाती है, जिसका विशेष महत्व है। इस वर्ष 29 मार्च से उत्तरवाहिनी पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा शुरू होने जा रही है, जो आगामी 27 अप्रैल यानी लगभग एक महीने तक चलेगी। इस परिक्रमा में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में भक्तों के उमड़ने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने इस 14 किलोमीटर के परिक्रमा मार्ग पर 3.82 करोड़ रुपए के खर्च से विभिन्न सुविधाएं विकसित कर यात्रियों की व्यवस्था की है।

नर्मदा परिक्रमार्थियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में बोर्ड द्वारा अनेक अस्थायी सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। उत्तरवाहिनी पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा के मार्ग में नर्मदा नदी के शहेराव घाट, रेंगण घाट, रामपुरा घाट और तिलकवाड़ा घाट स्थित हैं। बोर्ड द्वारा इन सभी घाटों पर बड़े आकार के मंडप, कुर्सियां, बैरिकेडिंग, लाइटिंग, टॉयलेट ब्लॉक, चेन्जिंग रूम, मेडिकल बूथ, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, पुलिस बूथ के लिए मंडप, पेयजल सुविधा, सीसीटीवी कैमरे, चेतावनी बोर्ड, डीजी सेट, साइन बोर्ड, पार्किंग, यात्रियों को लाइन में खड़े रहने के लिए रेलिंग, वॉच टावर, फूड स्टॉल और स्नान आदि की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार, पूरे परिक्रमा मार्ग पर लाइटिंग, साइनेज, डस्टबिन, सीसीटीवी कैमरे, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैठक व्यवस्था, टॉयलेट यूनिट, आपातकालीन स्थिति के लिए जेसीबी, हिताची, क्रेन और रस्सों जैसी मशीनरी आदि की व्यवस्था की गई है।

दुनिया की इकलौती नदी है नर्मदा, जिसकी परिक्रमा की जाती है

दुनिया भर में लगभग 1.50 लाख, भारत में 400 और गुजरात में 185 नदियां हैं। भारत की दृष्टि से देखें, तो हमारे देश में लगभग सभी नदियों की पूजा की जाती है। सबसे पवित्र गंगा नदी पर स्थित गंगा-यमुना और सरस्वती (अदृश्य) के त्रिवेणी संगम पर तो महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। खास बात यह है कि नर्मदा के अलावा गुजरात और भारत सहित पूरी दुनिया में किसी और नदी की परिक्रमा नहीं की जाती है। नर्मदा इकलौती ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि गंगा में स्नान करने से, यमुना के जल का पान करने से मुक्ति मिलती है, लेकिन नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से हमें पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए ही लाखों लोग नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर समुद्र संगम स्थल खंभात की खाड़ी तक की नर्मदा परिक्रमा करते हैं। यह नर्मदा परिक्रमा मार्ग लगभग 2624 किमी लंबा है। हालांकि, जो श्रद्धालु इतनी लंबी परिक्रमा करने में असमर्थ होते हैं, वे नर्मदा की उत्तरवाहिनी पंचकोशी यात्रा करके भी मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं। कहा जाता है कि उत्तरवाहिनी पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा करने से भी संपूर्ण नर्मदा परिक्रमा जितना ही फल प्राप्त होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

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