इतिहास के पन्नों में 12 दिसंबरः अंग्रेज डर गए बंगाल के विद्रोह से, दिल्ली को बनाया राजधानी

इतिहास के पन्नों में 12 दिसंबरः अंग्रेज डर गए बंगाल के विद्रोह से, दिल्ली को बनाया राजधानी
WhatsApp Channel Join Now
इतिहास के पन्नों में 12 दिसंबरः अंग्रेज डर गए बंगाल के विद्रोह से, दिल्ली को बनाया राजधानी


देश-दुनिया के इतिहास में 12 दिसंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। भारत की राजधानी के रूप में दिल्ली का इस तारीख से खास रिश्ता है। अंग्रेजों ने 12 दिसंबर, 1911 को ही दिल्ली को भारत की नई राजधानी घोषित किया था। इस तारीख की सुबह 80 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ की सामने ब्रिटेन के किंग जॉर्ज-पंचम ने घोषणा की थी-'हमें भारत की जनता को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि सरकार और उसके मंत्रियों की सलाह पर देश को बेहतर ढंग से प्रशासित करने के लिए ब्रिटेन की सरकार भारत की राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करती है।' महत्वपूर्ण यह है कि किंग जॉर्ज-पंचम ब्रिटेन के पहले राजा थे, जो भारत आए। उनके साथ क्वीन मैरी भी आई थीं।

इस घोषणा के लिए दिल्ली के लाल किला में दरबार भी सजाया गया। दरबार में देशभर के राजे-रजवाड़े और राजघराने शामिल हुए। दरबार लगाने से एक दिन पहले पूरी दिल्ली जगमगा उठी थी। कोई विरोध न हो, इसके लिए गिरफ्तारियां भी हो रही थीं। उस दिन छुट्टी भी घोषित हो गई। दरबार में जब किंग जॉर्ज-पंचम ने दिल्ली को राजधानी घोषित किया, तो दिल्ली जगमगा उठी, मानो दीपावली हो। इस दिन को खास बनाने के लिए बिजली का भी खास इंतजाम किया गया था।

दिल्ली को डिजाइन करने का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस और सर हर्बट बेकर को मिला। इनको चार साल में पूरी दिल्ली को डिजाइन करना था, लेकिन इसमें लग गए 20 साल। 13 फरवरी 1931 को दिल्ली का राजधानी के रूप में उद्घाटन किया गया।

दिल्ली को राजधानी बनाने की वजह भी खास थी। हुआ ये था कि 1905 में जब बंगाल का बंटवारा हुआ, तो इससे अंग्रेजों के खिलाफ देश में विद्रोह शुरू हो गया। उस समय कलकत्ता (अब कोलकाता) ही भारत की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन बंटवारे की वजह से पैदा हुआ विद्रोह शांत ही नहीं हो रहा था। इसी वजह से अंग्रेजों ने राजधानी दिल्ली को बना दिया। दिल्ली के बारे में उस समय कहा जाता था कि कोई भी इस पर ज्यादा समय तक राज नहीं कर सकता। ऐसा हुआ भी। दिल्ली को राजधानी घोषित करने के 36 साल के भीतर ही अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1787ः पेनसिल्वेनिया अमेरिका के संविधान को अंगीकार करने वाला दूसरा प्रांत बना।

1800ः वाशिंगटन डीसी को अमेरिका की राजधानी बनाया गया।

1822ः अमेरिका ने मेक्सिको को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।

1882: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का बांग्ला उपन्यास ‘आनंद मठ' प्रकाशित।

1884ः आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला गया।

1911ः भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित।

1917ः फ्रेंच आल्प्स में फ्रांसीसी सेना की ट्रेन के पटरी से उतरने से 543 लोगों की मौत।

1936ः चीन के नेता च्यांग काई शेक ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1971ः भारत की संसद ने पूर्व राजाओं को प्रदान की जानी वाली सभी सुविधाएं खत्म की।

1981ः पेरू के पूर्व प्रतिनिधि जेवियर पेरेज द कुइयार संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव निर्वाचित।

1990ः टीएन शेषन भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने।

1992ः हैदराबाद की हुसैन सागर झील में विशालकाय बुद्ध प्रतिमा स्थापित।

1996ः भारत एवं बांग्लादेश के मध्य गंगाजल के बंटवारे को लेकर 30 वर्षीय संधि पर हस्ताक्षर।

1998ः अमेरिकी सदन की न्यायिक समिति ने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग चलाने को मंजूरी दी।

1998ः साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता अलेक्जेंडर लोल्भनित्भिन ने रूस के सर्वोच्च सांस्कृतिक पुरस्कार को लेने से इनकार किया।

2001ः भारत ने नेपाल को दो चीता हेलीकॉप्टर और हथियार दिए।

2007ः पेरू की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति एल्बर्टो फूजीमारो को छह साल का कारावास और 13,000 डॉलर के जुर्माने की सजा सुनाई।

2007ः मलेशिया ने तान सेंग सुन को भारत में अपना नया उच्चायुक्त नियुक्त किया।

2007ः अमेरिकी संसद ने म्यांमार पर नए प्रतिबंध लगाए।

2008ः प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष एम वीरप्पा मोइली ने सरकारी कर्मचारियों के सेवा निगमों में व्यापक बदलाव की सिफारिश की।

जन्म

1872ः स्वतंत्रता सेनानी और हिंदू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष बालकृष्ण शिवराम मुंजे।

1940ः वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ शरद पवार।

1954ः 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई के आतंकविरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे।

1981ः भारत के क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह।

निधन

1964ः राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त।

2000ः कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जेएच पटेल।

2004ः जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री सैयद मीर कासिम।

2005ः ख्यातिप्राप्त धारावाहिक 'रामायण' के निर्माता रामानंद सागर।

2012ः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story