दिल्ली अग्निकांड : आखिर इतने लोग क्यों मारे गए?

नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी में हाल के वर्षो में हुई सबसे भीषण आग की घटनाओं में से एक, 13 मई को हुए अग्निकांड में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई।

पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में एक मेट्रो स्टेशन के पास स्थित एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए।

यह एक ज्ञात तथ्य है कि आग की घटनाएं गर्मियों के दौरान बढ़ जाती हैं और फिर दिल्ली फायर सर्विसेज (डीएफएस) को शहर के निवासियों से एक एसओएस कॉल प्राप्त होती है। लेकिन शायद ही कभी हताहतों की संख्या इतनी अधिक रही हो।

आग लगने का कारण ज्यादातर मामलों की तरह शॉर्ट सर्किट ही बताया जा रहा है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान कैसे और क्यों गई? पीड़ित खुद को क्यों नहीं बचा पाए? आईएएनएस ने पड़ताल की तो पता चला कि तबाही के पीछे कई कारण थे।

डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने आईएएनएस को बताया, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुर्भाग्यपूर्ण इमारत में अग्निशमन विभाग से आवश्यक अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं लिया गया था। उस इमारत के मालिक ने कभी भी फायर एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया था।

एक फायर एनओसी प्रमाणित करता है कि एक इमारत को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियमों के नियम 33 के अनुसार आग की रोकथाम और अग्नि सुरक्षा आवश्यकताओं का अनुपालन माना गया है। घटना के बाद से ही बिल्डिंग का मालिक मनीष लाकड़ा फरार है, जो इसी इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर रह रहा था।

दूसरा कारण समझने के लिए सबसे पहले भवन के बारे में जानना चाहिए। इमारत में ग्राउंड के अलावा ऊपर तीन मंजिल हैं।

ग्राउंड फ्लोर, पहली और दूसरी मंजिल पर एक ही कंपनी संचालित थी, जिसके मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल को गिरफ्तार किया गया है। घटना के वक्त ज्यादातर लोग इमारत की दूसरी मंजिल पर मौजूद थे।

आग पहले पहली मंजिल पर लगी, जिसमें एक सीसीटीवी और राउटर बनाने वाली कंपनी संचालित थी और बाद में आग दूसरी मंजिलों में फैल गई। घटना के समय दूसरी मंजिल पर एक मोटिवेशनल स्पीच (प्रेरक भाषण) इंवेट कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था जहां 100 से अधिक लोग मौजूद थे।

दूसरा कारण यह था कि पहली मंजिल पर प्लास्टिक सामग्री होने के कारण आग तेजी से फैल गई, जिससे इमारत के अंदर काफी धुआं फैल गया। एक अधिकारी ने कहा, आग लगने की घटना के दौरान प्लास्टिक के जलने से हमेशा तेज धुआं निकलता है।

लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर आग लगने के बाद लोग तुरंत इमारत से बाहर क्यों नहीं निकल सके?

इस प्रश्न का उत्तर तीसरा कारण ही हो सकता है, जिसके कारण अंतत: बड़ी संख्या में हताहत हुए। वह कारण यह है कि सभी मंजिलें केवल एक संकरी सीढ़ी से जुड़ी हुई थीं।

गर्ग ने कहा, इमारत में कई खामियां थीं, जिसमें एक ही बचने का रास्ता भी शामिल है, जो इतने सारे लोगों के हताहत होने का प्रमुख कारण है।

घटना में जीवित बचे एक व्यक्ति ने बताया कि जब आग लगी तो बचने का कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि सीढ़ियों में भी आग लग गई थी।

जैसे ही धुआं और आग दूसरी मंजिल तक पहुंचने लगी, लोगों में जबरदस्त दहशत फैल गई और वे आग से बचने के लिए खिड़की के शीशे तोड़ने लगे।

दमकल के पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोगों ने इलाके से गुजर रहे ट्रक को रोककर बचाव कार्य शुरू कर दिया। आईएएनएस द्वारा एक्सेस किए गए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग कैसे खिड़की के रास्ते बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

आग इतनी भीषण थी कि इमारत के अंदर की दीवारें भी ढह गईं, जिससे बचाव अभियान और भी मुश्किल हो गया। इसके अलावा, बहुत सारे धुएं और आग की वजह से पैदा हुई गर्मी ने दमकलकर्मियों की मुश्किलें बढ़ा दी थी।

--आईएएनएस

एकेके/एसजीके

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