उस्मान हादी की मौत से उबल उठा बांग्लादेश, डेढ़ साल में कैसे बने छात्र आंदोलन का चेहरा
ढाका, 19 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश इस वक्त गहरे उबाल से गुजर रहा है। 32 वर्षीय छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब इस बात का संकेत है कि बहुत कम समय में वह देश की राजनीति में कितने प्रभावशाली हो गए थे। हर ओर एक ही नारा गूंज रहा है, हम सभी हादी बनेंगे, पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ते रहेंगे। सवाल यही है कि 2024 से पहले जिनका नाम तक राजनीतिक गलियारों में नहीं था, वह उस्मान हादी इतने कम समय में जनआंदोलन की पहचान कैसे बन गए।
उस्मान हादी का जन्म बांग्लादेश के झालकाठी जिले में हुआ था। उनके पिता मदरसे में शिक्षक और स्थानीय इमाम थे। छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हादी ने भी शुरुआती शिक्षा मदरसे से ही प्राप्त की। बाद में उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ वह एक निजी शिक्षण संस्थान में अध्यापन भी करते थे। उनके करीबी बताते हैं कि सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले हादी लेखन से जुड़े हुए थे और उन्होंने छद्म नाम से एक किताब भी लिखी थी।
बांग्लादेश की राजनीति में हादी का उभार 2024 में उस समय शुरू हुआ, जब शेख हसीना सरकार के खिलाफ भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने जोर पकड़ा। सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में बदलाव की मांग को लेकर देश भर में छात्र सड़कों पर उतर आए थे। उसी दौर में इंकलाब मंच नाम का मंच छात्र आंदोलन की बड़ी ताकत बनकर उभरा और उस मंच की सबसे बुलंद आवाज उस्मान हादी बने। इस आंदोलन ने बांग्लादेश की राजनीति की दिशा बदल दी और हसीना सरकार का पतन हुआ। इसके बाद अवामी लीग पर प्रतिबंध की मांग वाले आंदोलनों में भी हादी की भूमिका लगातार मजबूत होती गई।
हादी को लेकर बांग्लादेश की राजनीति में दो साफ धाराएं दिखती थीं। समर्थकों के लिए वह निडर, बेबाक और जनभावनाओं की आवाज थे, जबकि विरोधियों की नजर में वह एक खतरनाक उकसाने वाले नेता बन चुके थे। हसीना सरकार के मुखर आलोचक हादी ने जुलाई, 2025 में ढाका विश्वविद्यालय के मधुर कैंटीन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान ऐसा बयान दिया था, जिसने देश भर में हलचल मचा दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर बीएनपी पुरानी राजनीतिक शैली के साथ सत्ता में आती है, तो वह दो साल भी सरकार नहीं चला पाएगी। वह जनकेंद्रित राजनीति की बात करते थे और यही सोच उन्हें तेजी से लोकप्रिय बनाती चली गई।
नवंबर, 2025 में हादी ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके बावजूद उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े बिना 2026 के राष्ट्रीय संसद चुनाव में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरने की घोषणा कर दी थी। गोपालगंज को तोड़ने की उनकी अपील को लेकर भी तीखा विवाद हुआ था, लेकिन इससे उनकी पहचान और ज्यादा मुखर हो गई।
12 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद ढाका में बाइक सवार दो हमलावरों ने उस्मान हादी को गोली मार दी। उस वक्त वह रिक्शा में सवार थे और गोली सीधे उनके सिर में लगी। उन्हें पहले ढाका मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां वह गहरे कोमा में चले गए। हालत बिगड़ने पर एयर एंबुलेंस से सिंगापुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 18 दिसंबर की रात उनकी मौत हो गई।
ढाका लाया जा रहा हादी का शव
ढाका ट्रिब्यून ने इंकलाब मंच के साेशल मीडिया फेसबुक पेज के हवाले से बताया है कि हादी को ले जाने वाला विमान शाम करीब 6 बजे हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। हादी के समथर्क उन्हें लेने के लिए एयरपोर्ट से शाहबाग की ओर सड़क के दोनों ओर खड़े होंगे। वहां से, उस्मान हादी को श्रद्धांजलि देने के लिए ढाका यूनिवर्सिटी सेंट्रल मस्जिद ले जाया जाएगा।
वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कड़े इंतजाम किए गए हैं। सशस्त्र पुलिस के साथ सेना और त्वरित प्रतिक्रिया बल की तैनाती की गई है। शनिवार को जौहर की नमाज के बाद ढाका के माणिक मिया एवेन्यू में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
उस्मान हादी की मौत के बाद पूरे बांग्लादेश में गुस्सा और शोक एक साथ फूट पड़ा है। उनके परिवार ने शाहबाग में स्मारक बनाने की मांग की है और हत्यारों को सख्त सजा दिलाने की अपील की है।--------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

