नेपाल सरकार ने चीन से फिर किया केरूंग-काठमांडू रेल बनाने का आग्रह

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नेपाल सरकार ने चीन से फिर किया केरूंग-काठमांडू रेल बनाने का आग्रह


काठमांडू, 25 सितंबर (हि.स.)। नेपाल की केपी ओली सरकार ने चीन से फिर एक बार नेपाल से जोड़ने वाली रेल सेवा विस्तार करने का आग्रह किया है। इस समय बीजिंग के दौरे पर गए नेपाल सरकार के उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री विष्णु पौडेल ने चीन सरकार के उपप्रधानमंत्री ही लाइफेंग के साथ बुधवार को हुई मुलाकात में काठमांडू-केरूंग रेल मार्ग निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है।

पिछले कुछ वर्षों से चीन की तरफ से ही इस रेल मार्ग का निर्माण करने के लिए नेपाल पर दबाब बनाया जा रहा था। चीन ने पहले भी ओली सरकार के समय ही चीन ने केरूंग काठमांडू रेल मार्ग की संभाव्यता अध्ययन के लिए समझौता किया था। नेपाल की पिछली सरकार विभिन्न कारणों से इस प्रोजेक्ट को टाल रही थी लेकिन अब एक बार फिर सत्ता में केपी शर्मा ओली की वापसी होते ही चीन की तरफ झुकाव बढ़ता दिख रहा है। बीजिंग में नेपाल के उपप्रधानमंत्री के साथ रहे वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता महेश भट्टराई ने बताया कि चीन की तरफ से इस संबंध में सकारात्मक जवाब मिला है। चीन पहले ही अपने खर्चे पर केरूंग-काठमांडू रेलमार्ग के लिए तैयार होने की जानकारी दी है।

दोनों देशों के उप प्रधानमंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के दौरान नेपाल की तरफ से कई अन्य परियोजनाओं में सहयोग करने का आग्रह किया गया है। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता भट्टराई ने कहा कि नेपाल के उपप्रधानमंत्री ने जिन परियोजना पर चीन से सहयोग मांगा गया है, उनमें काठमांडू के टोखा से छहरे तक टनल रोड का निर्माण शामिल है। इस टनल रोड के बनने से चीन और नेपाल के बीच सबसे नजदीक की सीमा को सीधे काठमांडू से जोड़ा जा सकता है। भट्टराई के मुताबिक हिल्सा-सुर्खेत-भूरिगांव राजमार्ग और किमंथांका-हिले राजमार्ग निर्माण का प्रस्ताव भी नेपाल की तरफ से किया गया है। इसी तरह नेपाल के कम्युनिस्ट नेता के नाम पर एक तकनीकी विश्वविद्यालय का निर्माण और प्रधानमंत्री ओली के निर्वाचन क्षेत्र में औद्योगिक पार्क के निर्माण का आग्रह भी किया गया है।

नेपाल और चीन के उपप्रधानमंत्री के बीच मुलाकात में नेपाल में चीन के बनाए गए दो नए अंतरराष्ट्रीय विमानस्थल पर चीन के विभिन्न शहरों से सीधी उड़ान करने का आग्रह किया गया है। पिछली बार जब केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने थे तो इन सभी योजनाओं पर चीन से मदद मांगी गई थी। इसके बाद शेर बहादुर देउवा और उसके बाद पुष्प कमल दाहाल प्रचंड की सरकार के समय इन मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक बार फिर से इन सभी परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास

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