भारतीय नागरिकों को अमेरिका भेजने का झांसा देकर काठमांडू में बन्धक बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश
काठमांडू, 15 फरवरी (हि.स.)। नेपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भारतीय माफिया के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अमेरिका जाने के नाम पर भारत के विभिन्न शहरों से लोगों को फंसाकर काठमांडू लाते थे और उन्हें बंधक बनाकर उनके परिवार वालों से फिरौती मांगते थे। ऐसे में काठमांडू में बंधक बनाकर रखे गए ग्यारह भारतीय नागरिकों को सकुशल बचाया गया है।
नेपाल पुलिस ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता कर इस गिरोह में संलग्न रहे आठ भारतीय सहित कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी है। नेपाल को अपना अड्डा बनाकर अमेरिका जाने के नाम पर लाखों की ठगी करने और बन्धक बनाकर रखने की सूचना के आधार पर पुलिस ने काठमांडू के रातो पुल के पास एक घर में छापेमारी करते हुए बन्धक बनाए गए और गिरोह के लोगों को पकड़ा था।
पत्रकार वार्ता में काठमांडू के एसएसपी भूपेन्द्र खत्री ने बताया कि अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए भारतीय माफिया द्वारा यहां बन्धक बनाने और उनके परिजनों को फोन कर फिरौती मांगने वाले गिरोह को लेकर भारतीय सुरक्षाकर्मी के तरफ से सूचना मिलने के बाद ऑपरेशन डंकी चलाया गया था।
पुलिस ने छापेमारी के दौरान उस घर से 11 लोगों को छुड़ाने के साथ ही फर्जी कागजात, सरकारी मोहर, लैपटॉप, मोबाइल, घड़ियां और अन्य सामान बरामद किए जाने की जानकारी दी। एसएसपी खत्री के मुताबिक, जिन लोगों को ''ग्रीन क्रोमा'' के जरिए बंधक बनाया गया था, उनके रिश्तेदारों को मेक्सिको और ब्राजील में होने की झूठी जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि इसके लिए घड़ी में उसी देश का समय भी निर्धारित कर दीवार पर टांगा गया था।
जांच से पता चला है कि भारतीय माफिया ने ऐसे लोगों को अमेरिका भेजने का लालच दिया और नई दिल्ली से कतर ले जाकर वहां से झूठ बोल कर काठमांडू लाया जाता था। काठमांडू आने के बाद पीड़ितों को कुछ दिनों तक एक होटल में रखा जाता था और फिर उस घर में ले जाकर बन्धक बना कर रख लिया जाता था। पीड़ितों के द्वारा दिए गए बयान के आधार पर पुलिस ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए एक एक व्यक्ति ने 45 लाख भारतीय रुपये तक का भुगतान किया था। पत्रकार सम्मेलन में एसएसपी खत्री ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उनके पास रहे 3 हजार डॉलर और पासपोर्ट तथा मोबाइल फोन जब्त कर लिया जाता और उन्हें काठमांडू लाकर प्रताड़ित किया जाता था।
जांच से पता चला है कि पीड़ितों के पासपोर्ट पर ''आगमन और प्रस्थान'' के फर्जी स्टांप लगाए गए और सोशल मीडिया पर उसे पोस्ट कर दिया जाता जिससे लोगों को यह पता लगे कि ये सभी अमेरिका जा रहे हैं। पुलिस जांच में यह भी पता चला कि माफिया ने पीड़ित को शारीरिक और मानसिक यातना देने और यहां तक कि भारत में उनके रिश्तेदारों को मारने की धमकी देकर कमरे में बंधक बना कर रखा गया था। पीड़ितों को हफ्तों तक वहां जंजीरों से बांधकर रखा गया था।
पुलिस ने जिन लोगों को माफिया के चंगुल से बचाया उनमें हरियाणा के गुरिंदर सिंह, भूपेन्दर सिंह, मनवीर सिंह, जगदीप सिंह, गुरपित सिंह, कुलदीप सिंह, राकेश कुमार, गुरुपित सिंह, सुबवास कुवंर, प्रतीक कनमार एवं आशीष कुमार शामिल हैं। घटना में शामिल मुख्य एजेंटों में मध्य प्रदेश के इंदु सिंह यादव, लुधियाना के निपुण गुप्ता, नई दिल्ली के चरणजीत सिंह, पंजाब के अशोक कुमार, महिपालपुर के अब्दुल रहीम, पंजाब के मनीष कुमार मल्होत्रा, मध्य प्रदेश के रवि मेवाड़े, राजस्थान के रामचन्द्र शर्मा और एक नेपाली नागरिक को गिरफ्तार किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास /प्रभात
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