पुरुलिया कांड के आरोपी के प्रत्यर्पण की याचिका डेनमार्क की अदालत ने किया खारिज
कोपनहेगन, 30 अगस्त (हि. स.)। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में 29 साल पहले हथियार गिराने के मामले में आरोपी डेनिश नागरिक नील्स होल्क के भारत प्रत्यर्पण की याचिका डेनमार्क की अदालत ने बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही इस बहुचर्चित मामले में भारत को झटका लगा है। अदालत का यह आदेश डेनमार्क के शीर्ष अभियोजन प्राधिकरण के खिलाफ है जिसने नील्स को विदेश भेजने के लिए हरी झंडी दे दी थी।
होल्क ने 1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक मालवाहक विमान से असॉल्ट राइफल, रॉकेट लॉन्चर और मिसाइल गिराने की घटना में भाग लेने की बात स्वीकार की थी।
हिलेरोएड जिला न्यायालय ने कहा कि भारत द्वारा दी गई ‘‘अतिरिक्त राजनयिक गारंटी’’ के बावजूद ‘‘एक ऐसा जोखिम’’ है कि होल्क को भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ेगा। होल्क (62) ने कहा कि उसे डर है कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी जान को ख़तरा हो सकता है।
फैसले की घोषणा से पहले होल्क ने बृहस्पतिवार सुबह डेनिश रेडियो डीआर से कहा, ‘‘मैं न्यायाधीश के सामने जवाबदेह ठहराया जाना चाहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह एक न्यायसंगत आपात स्थिति है।’’
हथियार गिराए जाने के बाद एक ब्रिटिश और पांच लातवियाई नागरिक को भारतीय अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन होल्क भाग निकला था जिसे पहले नील्स क्रिश्चियन नीलसन के नाम से जाना जाता था।
भारत ने सबसे पहले 2002 में डेनमार्क से होल्क के प्रत्यर्पण के लिए कहा था। सरकार सहमत हो गई थी, लेकिन डेनमार्क की दो अदालतों ने उसके प्रत्यर्पण को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसे भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का खतरा होगा। इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए।
जून 2023 में, डेनमार्क ने फिर से 2016 के भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गौर किया और कहा कि प्रत्यर्पण अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजीत तिवारी
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