सिख धर्म के पहले शहीद, शांति के पुंज, शहीदों के सरताज, सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है।
गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर में 30 मई, 1606 ई. को भीषण गर्मी के दौरान ‘यासा व सियास्त’ कानून के तहत लोहे की गर्म तवी पर बिठाकर शहीद कर दिया।
गुरु जी के शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई। जब गुरु जी का शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह से जल गया तो आप जी को ठंडे पानी वाले रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया।
श्री गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस वाराणसी के नीचीबाग गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं को शरबत पिलाया गया।
वहीं गुरुबाग गुरुद्वारा में भी गुरू अर्जुन देव जी की शहादत पर कीर्तन का आयोजन किया गया है