जाणता राजा में शिवाजी महाराज के शौर्य व पराक्रम को देख अभिभूत हुए दर्शक

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जाणता राजा में शिवाजी महाराज के शौर्य व पराक्रम को देख अभिभूत हुए दर्शक


जाणता राजा में शिवाजी महाराज के शौर्य व पराक्रम को देख अभिभूत हुए दर्शक


लखनऊ, 29 अक्टूबर (हि.स.)। महाराज छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के चौथे दिन आज रविवार को जनेश्वर मिश्र पार्क के पण्डाल में बैठे हजारों दर्शक शिवाजी के शौर्य व पराक्रम को देखकर अभिभूत हुए। खचाखच भरा पण्डाल दर्शकों के जय भवानी-जय शिवाजी के उद्घोष से गूंजता रहा। नाट्य के दौरान भारत का शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान साक्षात शिवाजी महाराज में दिखाई दे रहा था।

शिवाजी ने राजा बनने के समय शपथ लेते हुए कहा कि 'यह पृथ्वी मेरी पत्नी है और यह प्रजा मेरी संतान है, राजा होने के नाते मैं इसका पालन पोषण और संरक्षण करूंगा। अगर मेरे कर्तव्य पालन में कोई गलती होती है तो मैं स्वयं राज्य का त्याग कर दूँगा।' राष्ट्रधर्म और राजधर्म दोनों की शिक्षा इस विशाल नाट्य के द्वारा लखनऊ सहित आस-पास के कई जिलों के हजारों दर्शक पा रहे हैं। शिवाजी ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति चरित्रवान, नैतिक और राष्ट्र भक्त है वही वास्तव में राजा होने का अधिकारी होता है। उन्होंने अपनी माँ साहब जीजाबाई को वचन दिया कि मैं अपनी प्रजा और सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए स्वराज की स्थापना करूंगा इसके लिए चाहे मुझे अपने प्राणों का बलिदान भी क्यों न देना पड़े।

नाट्य के दौरान दर्शकों में जोश और भावुकता तब दिखायी दी जब तत्कालीन मुगलशासक शिवाजी के शौर्य, पराक्रम और त्याग से भयभीत दिखाई दिया। मुगल शासक ने अपने सभी सेनापतियों और सरदारों को फटकार लगाते हुए नसीहत दी कि इस समुद्र जैसी मुगल सेना को एक शिवाजी ने अपनी छोटी सेना से छिन्न-भिन्न कर दिया और तुम लोग पीठ दिखाकर भागे। उसने कहा लानत है तुम लोगों की वीरता पर। मुगल शासक ने शिवाजी की तारीफ करते हुए कहा कि वाह! योद्धा और वीर हो तो शिवाजी जैसा।

मंचन के दौरान शिवा की माता जीजाबाई ने मुगलिया शासन के खिलाफ ललकार भरते हुए अपने पुत्र शिवाजी से कहा कि तुम साक्षात शिव और माता तुलजा भवानी के अवतार हो। तुम्हारे साथ तुम्हारी माता और सारी प्रजा का आशीर्वाद है। तुम स्वयं अपनी सेना को तैयार करो और मुगल शासन की धज्जियां उड़ा दो।

उल्लेखनीय है कि यह महानाट्य 'जाणता राजा' का आयोजन लखनऊ, उ0प्र0 के जनेश्वर मिश्र पार्क में किया जा रहा है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम जी ने कहा कि इस महानाट्य को आयोजित करने का उद्देश्य युवाओं को शिवाजी के चरित्र से परिचित कराना है।

आयोजन के सह प्रभारी शतरूद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कार्यक्रम को सवा लाख लोगों को दिखाने का लक्ष्य रखा गया है, जो निरन्तर पूर्णता की ओर है।

सेवा मिशन के संयोजक संजय चतुर्वेदी ने बताया कि इस दिव्य नाट्य को देखने के बाद विद्यार्थी, युवा एवं समाज के अनेक वर्ग के लोग अपने पुराने इतिहास और आदर्शों को जान और समझ रहे हैं। इससे समाज में आने वाली युवा पीढ़ी में चरित्र और संस्कार का निर्माण भी होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

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