सवा सेर गेहूं से गरीबी के दंश पर प्रहार

सवा सेर गेहूं से गरीबी के दंश पर प्रहार
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सवा सेर गेहूं से गरीबी के दंश पर प्रहार


प्रयागराज, 28 मई (हि.स.)। गरीबी इंसान को कितना लाचार और बेबस बना देती है कि वह अपने जीवन को ही बोझ समझने लगता है और बोझ से छुटकारा पाने का माध्यम तलाश करने लगता है। “एकता“ संस्था द्वारा गरीबी और लाचारी को रेखांकित करती मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित नौटंकी “सवा सेर गेंहू“ का मंचन कला थियेटर मुट्ठीगंज में किया गया।

समाज में गरीब इंसान पग-पग पर ठगा जाता है। शोषण और अत्याचार सहकर उसका साहस नहीं होता है कि वह सिर उठा कर कुछ बोल सके। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी कहानी का नौटंकी रूपांतरण “सवा सेर गेंहू“ में ऐसे ही एक गरीब किसान की कहानी है।

शंकर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ गांव में रहता है। उसका एक छोटा सा खेत है। उस पर जी-तोड़ मेहनत कर वह खेती कर अपने परिवार का भर- पोषण करता है। एक दिन घर में मेहमान आने के कारण गांव के साहूकार से वह सवा सेर गेहूं उधार लेता है। साहूकार बहुत बेईमान है, वह भोले भाले शंकर से एक सादे कागज पर अंगूठा लगवा लेता है। काफी समय हो जाता है किंतु मजबूरी में शंकर उसका अनाज वापस नहीं कर पाता। साहूकार उससे अपना सवा सेर गेहूं मांगता है, किंतु शंकर कुछ दिन की और मोहलत मांगता है।

कुछ और समय निकल जाने के बाद भी शंकर जब अनाज वापस नहीं करता तो साहूकार की नीयत खराब हो जाती है। वह शंकर के खेत पर कब्ज़ा कर लेता है, साथ ही शंकर को भी बंधुआ बनाकर अपने खेत पर काम करवाने लगता है। शंकर जब मेहनताना मांगता तो साहूकार उसको मारता-पीटता। अत्यधिक मेहनत करने और खाने को कुछ न मिलने के कारण शंकर बीमार रहने लगा। बीमारी के बाद भी साहूकार उससे काम करवाता। आखिरकार एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है।

इन प्रसंगों को बहुत मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया है। एक घंटे से अधिक समय के नाटक में दर्शक पूरे समय तक नाटक से जुड़े रहे। शंकर की भूमिका में प्रतीक श्रीवास्तव, साहूकार की भूमिका में उत्तम कुमार बैनर्जी, शंकर की पत्नी की भूमिका में मीना मिश्रा ने भावपूर्ण प्रदर्शन से दर्शकों को प्रभावित किया। इसके साथ ही सौरभ पांडे, धर्मेश चौबे, रवि ने भी शानदार भूमिका निभाई। सूत्रधार चित्ताजित मित्रा, प्रकाश व्यवस्था सुजॉय घोषाल, सेट निर्माण सदाशिव पांडा, वस्त्र विन्यास इफ्फत सईदा, राखी एवं नबा की थी। वाद्य यंत्रों में हारमोनियम पर अजय भट्ट, ढोलक पर शिव गुप्ता, नक्कारा पर अतुल सोनी थे। संगीत निर्देशन रुपमा कुमारी ने किया। नाट्य परिकल्पना एवं निर्देशन सुदीपा मित्रा की थी। संस्था के महासचिव जमील अहमद ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि संस्था के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन गरिमा बनर्जी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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