भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित खलनायकों पर एक नज़र
‘शान’ (1980) में गंजे, दुष्ट शाकाल के रूप में कुलभूषण खरबंदा, ‘संघर्ष’ (1999) में एक भयानक धार्मिक कट्टरपंथी लज्जा शंकर पांडे के रूप में आशुतोष राणा, ‘ओमकारा’ (2006) में षड्यंत्रकारी और दुष्ट लंगड़ा त्यागी के रूप में सैफ अली खान और ‘अग्निपथ’ (2012) में क्रूर कांचा चीना के रूप में संजय दत्त अविस्मरणीय हैं। लेकिन एक किरदार जो सबसे अलग है और प्रतिष्ठित बन गया है, वह है ‘मिस्टर इंडिया' का मोगैम्बो, जिसे दिवंगत अमरीश पुरी ने निभाया था। एक और होनहार किरदार ‘यास्किन’, जिसे भारत की सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ में जीवित किंवदंती कमल हासन ने निभाया है।
मोगैम्बो
मिस्टर इंडिया (1987) में अमरीश पुरी का निभाया गया मोगैम्बो का किरदार प्रतिष्ठित बना हुआ है। दुनिया पर राज करने की अपनी महत्वाकांक्षा के साथ मोगैम्बो ने अपनी बेदाग अभिनय क्षमताओं से दर्शकों को भयभीत कर दिया। उनका संवाद ‘मोगैम्बो खुश हुआ’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में अंकित है। मिस्टर इंडिया अपने समय से आगे की फिल्म है, जो शानदार ढंग से पुरानी हो गई है, जिसमें मोगैम्बो परम खलनायक का प्रतीक बन गया है।
यास्किन
कल्कि 2898 एडी (2024) में कमल हासन एक खलनायक की भूमिका निभाते हैं, जिसने पहले ही काफी चर्चा बटोरी है। अपनी भूमिकाओं के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से रूपांतरित होने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाने वाले हासन एक वृद्ध, बनावटी रंग और मुंडा सिर के साथ एक खतरनाक अवतार में दिखाई देते हैं। दुनिया को नष्ट करने के उद्देश्य से उनके चरित्र को एक प्रतिष्ठित खलनायक के रूप में अत्यधिक प्रत्याशित किया जा रहा है। 27 जून को रिलीज़ होने वाली इस महान कृति में दुनिया भर के दर्शक उनके घातक अवतार का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/लोकेश चंद्रा/सुनीत
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