आज है संत रविदास जयंती, ये है उनके वो 5 अनमोल वचन जो बदल देंगे आपके सोचने का नजरिया

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हर साल माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास जयंती को हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस साल रविदास जयंती 5 फरवरी के दिन मनाई जा रही है। आज के दिन संत रविदास के भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। संत रविदास की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार संत रविदास का जन्म सन 1398ई में बताते हैं तो कुछ सन 1482ई बताते हैं।

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संत रविदास थे कृष्ण भक्त मीरा के गुरु 

संत रविदास कृष्णभक्त मीराबाई के गुरु थे और उनके द्वारा दी गई शिक्षा से ही मीरा ने कृष्ण भक्ति का मार्ग अपनाया था। संत रविदास की भक्ति भावना और प्रतीभा को देखकर स्वामी रानानंद ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया था। संत रविदास जी ने कई दोहे और भजन की रचना की थी, जिनमें उन्होंने ईश्वर का गुणगान किया था। साथ ही यह भी बताया था कि व्यक्ति को किन कर्मों से ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता है।

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गुरु रवि दास जी ने 5 अनमोल विचार

1. राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग अलग नाम है वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है, और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं।

2. हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है।

3. यदि आपमें थोड़ा सा भी अभिमान नहीं है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल रहता है, ठीक वैसे ही जैसे एक विशालकाय हाथी शक्कर के दोनों को बिन नहीं सकता, लेकिन एक तुच्छी सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बिन लेती है।

4. मन में ही भगवान वास करते हैं। अगर आपके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो आपका मन ही भगवान का मंदिर, दीपक और धूप है। ऐसे पवित्र विचारों वाले मन में प्रभु सदैव निवास करते हैं।

5. जिस प्रकार तेज़ हवा के कारण सागर मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, और फिर सागर में ही समा जाती हैं, उनका अलग अस्तित्व नहीं होता । इसी प्रकार परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।

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