Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी आज, इस तरह पिएंगे पानी तो नहीं टूटेगा आपका व्रत, जान लें जरूरी नियम
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 24 एकादशियों का फल एक साथ प्रदान करता है। इसलिए इस व्रत को बहुत हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह दो एकादशी तिथि आती हैं और इस तरह साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं और सभी का अपना एक खास महत्व होता है। लेकिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना गया है क्योंकि इस दिन जातक पानी भी ग्रहण नहीं कर सकते और यदि गलती से पानी पी लें तो व्रत टूट जाता है। लेकिन निर्जला एकादशी के दिन जल ग्रहण करने का एक खास तरीका होता है जिससे व्रत भंग होता। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी के दिन पानी पीने का तरीका और इस व्रत के नियम-
निर्जला एकादशी के दिन पानी ग्रहण करने का नियम
निर्जला एकादशी के नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन बिना पानी ग्रहण किए व्रत रखा जाता है और पानी से व्रत भंग हो जाता है। लेकिन धर्म शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति दिन भर बिना जल के नहीं रह सकता और पूरी श्रद्धा से इस व्रत को पूरा करना चाहता है तो उसे जल पीने का यह नियम अपनाना चाहिए। नियम के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन 12 बार ‘ओम नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद एक थाली में जल भरें और घुटनों व बाजुओं के बल जमीन पर बैठ जाएं। फिर थाली में रखें उस जल को पशु की तरह बैठकर पीएं। इस तरह जल ग्रहण करने से आपको व्रत भंग नहीं होगा और पुण्य फल भी प्राप्त होगा।
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और इसलिए इस व्रत से जुड़े नियमों का पालन अवश्य करें। इस दिन ऐसा कोई कार्य न करें जिससे आपका व्रत टूट जाए। निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो दिन-रात भगवान विष्णु की अराधना करें और दिन के समय सोने से बचें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों में बलशाली भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत धारण दस हजार हाथियों का बल प्राप्त किया था। अपने इस बल से ही दुर्योधन का वध किया था।
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