Krishna janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की मूर्ति घर लाने से पहले जान लें ये जरूरी नियम

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हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। मान्यता है कि सच्चे मन से मुरली मनोहर की पूजा करने करने वाले भक्त पर कान्हा की पूरी कृपा बरसती है और उसकी परेशानी को दूर करने के लिए वे दौड़े चले आते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा तो आप कभी भी कर सकते हैं लेकिन जन्माष्टमी के पर्व पर उनकी पूजा का ज्यादा महत्व माना गया है। आइए जानते हैं कि कान्हा के जन्मोत्सव पर उनकी किस मूर्ति की पूजा करने पर आखिर किस फल की प्राप्ति होती है.

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लड्डू गोपाल की मूर्ति
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अधिकांश लोग उनके बाल स्वरूप यानि लड्डू गोपाल के रूप में पूजना ज्यादा पसंद करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के इस पावन स्वरूप की पूजा दुर्भाग्य को दूर करे सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना गया है। साथ ही साथ लड्डू गोपाल की पूजा संतान सुख भी दिलाती है। यही कारण है कि हर कोई बाल-गोपाल की मूर्ति को पूजना अधिक पसंद करता है।

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गोवर्धन पर्वत उठाते हुए कृष्ण की मूर्ति
हिंदू मान्यता में भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न प्रकार की मूर्तियों में गोवर्धन पर्वत को उठाए वाली प्रतिमा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का भय हो या फिर किसी बड़ी समस्या ने परेशान कर रखा हो तो उसे दूर करने के लिए जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाए हुई प्रतिमा की विशेष पूजा करनी चाहिए।

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मुरलीधर की मूर्ति
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को मुरली बजाना बहुत ज्यादा प्रिय था। यही कारण है कि उनके भक्त उन्हें मुरलीधर कहते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को कलह और कर्ज ने घेर रखा हो तो उसे अपने घर में भगवान कृष्ण के मुरलीधर स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मान्यता यह भी है कि कान्हा को चांदी की बांसुरी चढ़ाने पर आर्थिक दिक्कतें शीघ्र ही दूर हो जाती हैं।

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राधा संग कृष्ण की मूर्ति
हिंदू मान्यता के अनुसार राधा रानी के बगैर भगवान कृष्ण अधूरे माने जाते हैं. मान्यता है कि राधा-कृष्ण की मूर्ति की पूजा करने पर व्यक्ति को सुखी दांपत्य जीवन का सौभाग्य प्राप्त होता है और उनके रिश्ते में आपसी विश्वास और प्रेम हमेशा कायम रहता है।

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माखनचोर की मूर्ति
भगवान श्रीकृष्ण के माखनचोर स्वरूप की पूजा का भी बहुत ज्यादा पुण्यफल माना गया है। मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण बाल-गोपाल के साथ माखनचोरी किया करते थे, जिसमें से वे खाते कम उन्हें खिलाया ज्यादा करते थे। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण की इस मूर्ति की पूजा करने पर साधक के घर में हमेशा अन्न और धन का भंडार भरा रहता है।

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