Karwa Chauth 2023: कुंवारी लड़कियां भी कर सकती हैं करवा चौथ का व्रत? लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

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हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है जो कि सुहागिनों के लिए बहुत ही खास होता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 (Karwa Chauth Date) को रखा जाएगा।  इस दिन सुहागिन महिलाएं मां गौरी का पूजन करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर निर्जला व्रत करती हैं।  सुहागिनों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि यह व्रत पति की लंबी उम्र के साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए भी रखा जाता है। वहीं कुछ जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं लेकिन इनके लिए पूजा की विधि सुहागिनों से बिल्कुल अलग होती है। 

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कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं करवा चौथ का व्रत 
आमतौर पर करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं लेकिन कुछ क्षेत्रों में कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि कुंवारी कन्या यदि करवा चौथ का व्रत रखे तो उसे अच्छा जीवनसाथी मिलता है और जल्दी विवाह के योग बनते हैं लेकिन कुंवारी कन्याओं के लिए करवा चौथ की पूजा के अलग नियम होते हैं और इनका विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। 

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कर सकती हैं फलाहार
सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं यानि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना जल भी ग्रहण नहीं करती लेकिन कुंवारी कन्याओं के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। उन्हें इस दिन निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए और दिन में फलाहार अवश्य लेना चाहिए। क्योंकि सही मायने ​में करवा चौथ का निर्जला व्रत विवाह के बाद शुरू होता है। 

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चंद्रमा को न दें अर्घ्य
यदि कोई अविवाहित लड़की करवा चौथ का व्रत रख रही है तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चंद्रमा को जल अर्पित न करें। बल्कि तारों को जल देकर व्रत का पारण करना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य शादी के बाद दिया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। 

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छलनी का न करें इस्तेमाल
आमतौर पर करवा चैथ के दिन सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं। यदि कोई अविवाहित लड़की चंद्रमा को देखकर व्रत खोलती है तो उसे पूजा के समय छलनी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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थाली घुमाने की रस्म न करें
अविवाहित लड़कियां यदि करवा चौथ का व्रत कर रही हैं तो उन्हें थाली घुमाने और करवा बदलने की रस्म नहीं करनी चाहिए। यह रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है और इसके लिए शादी तक का इंतजार करना चाहिए। 

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