Janmashtami 2023: आज के दिन सूर्यास्त के बाद नहीं पीना चाहिए पानी, जानिए वजह और व्रत के नियम

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भगवान कृष्ण की जन्मोत्सव तिथि को जन्माष्टमी के तौर पर हर साल बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धरती पर अवतार लिया था और इस साल यह ति​थि 6 और 7 सितंबर को पड़ रही है। यानि जन्माष्टमी का पर्व 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है । इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है और व्रत रखा जाता है। जन्माष्टमी का व्रत बहुत ही कठिन माना गया है क्योंकि इसमें सूर्यास्त के बाद पानी पीने की मनाही होती है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी व्रत के नियम-

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जन्माष्टमी व्रत में सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं पीते पानी?
धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत पूरे विधि-विधान से रखना चाहिए। इस व्रत में जातक दिनभर फलाहार व दूध-दही का सेवन कर सकते हैं लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी पीने की मनाही होती है। क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म रात्रि के समय हुआ था और सूर्यास्त के बाद उनकी पूजा-पाठ की तैयारियां शुरू कर दी जाती है। इस दौरान उनके जन्म तक पानी ग्रहण नहीं किया जाता।

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जन्माष्टमी व्रत के नियम

जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन के साथ ही सात्विक विचार भी होने चाहिए। खासतौर पर जो व्यक्ति व्रत कर रहा है उसे दिनभर भगवान कृष्ण की अराधना करनी चाहिए। भूलकर भी किसी महिला या गरीब का अपमान नहीं करना चाहिए। 

कोशिश करें कि जन्माष्टमी के किसी जरूरतमंद को दान दें, इस दिन दान-पुण्य करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है और जातकों पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहती है। 

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इस दिन लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं जाते हैं। उनका श्रृंगार कर जन्म के बाद उन्हें झूला झूलाने की भी परंपरा है।  इसलिए घर के सभी सदस्यों को लड्डू गोपाल को झूला झूलाना चाहिए। 

ध्यान रखें कि जन्माष्टमी व्रत के दौरान शाम को पूजा से पहले स्नान अवश्य करें और उसके बाद ही पूजन की तैयारियों में लगें। जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाकर तैयार किया जाता है। पूजा के बाद सबसे पहले पंचामृत का ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। 

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