Chhath Puja 2023: छठ पूजा में महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से मांग तक सिंदूर? जानिए महत्व

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हिंदू धर्म में सुहा​गिन महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व होता है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण सिंदूर माना गया है। सुहाग के प्रतीक सिंदूर की छठ पर्व में महत्वता बहुत खास होती है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं 16 श्रृंगार के साथ ही नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर छठ पूजा में महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर क्यों लगाती हैं? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि छठ पूजा में नाक तक सिंदूर लगाने का महत्व। 

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नाक पर से सिंदूर लगाने के पीछे की मान्यता
सबसे पहली बात बता दें कि ये पूजा केवल विवाहित महिलाएं हीं करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाक पर से सिंदूर लगाने के पीछे की वजह पति की लंबी उम्र कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी महिलाएं ऐसा करती हैं उनके पति की आयु और भी ज्यादा बढ़ जाती है। साथ ही उनके पति अकाल मृत्यु के शिकार नहीं होते हैं।

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इसके अलावा मान्यता यह भी है कि सिंदूर लगाने से पति की लंबी आयु के साथ समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। साथ हीं यह भी कहा जाता है कि जो महिलाएं सिंदूरछिपा कर लगाती हैं उनके पति समाज में कहीं छिप कर रह जाते हैं। इसकी साथ उनकी तरक्की भी रुक जाती है और आयु भी कम हो जाती है। साथ ही नाक से सिंदूर कर महिलाएं समाज को यह भी बताती हैं कि वो शादी-शुदा हैं और अपने पति से बेहद प्रेम करती हैं।

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दुशासन और द्रौपदी से जुड़ा किस्सा
इसके पीछे एक कहानी यह भी कहा जाता है कि एक बार दुशासन गरजते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा। उस समय द्रौपदी ने सिंदूर नहीं लगाया था। जिसपर दुशासन ने तंज कसते हुए कहा कि तूने अभी तक यह भी तय नहीं किया कि किसके नाम का सिंदूर लगाना है। इसके बाद दुशासन द्रौपदी के बाल को पकड़ कर खींचने लगा। तभी द्रोपदी ने जल्दी से सिंदूरदानी को ही अपने सिर पर पलट लिया। बता दें कि सिंदूर भी कई तरह के होते हैं। पहला सुर्ख लाल, दूसरा सिंदूर पीला या नारंगी, तीसरा सिंदूर मटिया सिंदूर होता है। छठ पूजा के दौरान ये तीनों तरह के सिंदूर को इस्तेमाल किया जाता है। बिहार में मिटिया सिंदूर का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस सिंदूर को सबसे शुद्द माना जाता है।

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