जीवनदायिनी तुलसी के संरक्षण का संदेश देता है तुलसी विवाह

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पर्यावरण संरक्षण भारतीय संस्कृति के संस्कारों में है । भारत का प्रत्येक पर्व पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भारत के वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों ने प्रकृति के प्रत्येक गुणकारी पेड़ -पौधों ,नदियों ,तालाबों वनों, जानवरों,पर्वतों के संरक्षण के लिए उपाय किए हैं। जिसे आज हम परंपराओं और पर्वों के रूप में मनाते हैं । 

हमारे सनातन संस्कृति में ऐसी ही अनेक परंपराएं हैं जो हमें पर्यावरण से जोड़ती हैं ऐसी ही एक परंपरा है कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होने वाला तुलसी विवाह। 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है । मान्यता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु अपने चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं । 
देवोंत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं । इसी कारण स्थिति से सभी शुभ कार्य आरंभ होते हैं । 
शास्त्रों के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी सभी एकादशी में श्रेष्ठ मानी गई है तुलसी विवाह का आयोजन भी होता है । माता तुलसी को नारायणी भी कहते हैं । माना जाता है कि तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है । 

हिंदू धर्म की परंपरा अनुसार  महिलाएं कार्तिक मास प्रारंभ होने पर नया तुलसी का पौधा लगाती हैं मास भर सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके मां तुलसी को जल देती हैं । वह भोजन में मांस मछली लहसुन प्याज आदि का परहेज करके सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं । और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को नारायण से तुलसी का विवाह करके अभिभावक के रूप में उनका कन्यादान करती हैं । 

 तुलसी विवाह का वैज्ञानिक महत्व क्या है

तुलसी विवाह का आयोजन साधारण तौर पर तो एक धार्मिक परंपरा लगती है । लेकिन वास्तव में इसके पीछे एक गहरा वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ है । वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो तुलसी से गुणकारी पौधा धरती पर और कोई नहीं है । तुलसी वास्तव में औषधि है । जिसका  संरक्षण अनिवार्य है । तुलसी एक ऐसा पौधा है जो रात्रि में भी प्राणवायु प्रदान करता है । कहते हैं कि तुलसी का पौधा लगाने से घर में पवित्रता आती है । इसके पीछे की वजह यह है कि तुलसी के महक से मच्छर ,कीट ,पतंगे आदि पनपने की संभावना कम होती है । 

खांसी जुकाम सर्दी में तुलसी का काढ़ा पीने से राहत मिलती है ।  तुलसी का पत्ता त्वचा पर होने छाई को खत्म करता है । तुलसी से सेवन से खून साफ होता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । 

ऐसी अनेक खूबियां हैं जो तुलसी अपने अंदर छुपाए हुए हैं इसीलिए हमारे सनातन संस्कृति में इसके गुणों की पूजा की जाती है और इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए तुलसी विवाह का आयोजन होता है ।

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