Pitru Paksha 2023 : दुनिया का इकलौता मंदिर जहां खुद का श्राद्ध करने पहुंचते हैं लाखों लोग, पितृ पक्ष में लगता है मेला
 

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बिहार के गया में पितृपक्ष मेले में लाखों श्रद्धालु अपने पितरों का पिंडदान करने को हर साल आते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिंदा रहते भी कुछ लोग अपना पिंडदान करने गया के एक ऐसे मंदिर में पहुंचते हैं जो हजारों साल पुराना है। खास बात ये है कि  45 वेदियो में से एक वेदी के रूप में यह मंदिर विख्यात है। यहां लोग आत्म पिंडदान करने को आते हैं। भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड को ग्रहण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि आत्म पिंडदान करने वाले को परलोक में जाने के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। आइए जानते हैं मंदिर के बारे में।

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विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर में करते है श्राद्ध
ऐसा कहा जाता है कि जिस मंदिर परिसर में लोग खुद का श्राद्ध करते हैं। उसका नाम विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर है।  बता दें कि यह मंदिर गया के भस्म कूट पर्वत पर स्थित है। खास बात ये है कि बिहार का गया पिंडदान के लिए समूचे विश्व में प्रसिद्ध है। इस पवित्र स्थल देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग पिंडदान के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां परिजनों की आत्मा को पिंड दान करने से स्वर्ग में मोक्ष प्राप्त होता है  इसके अलावा पिंडदान करने के बाद वह व्यक्ति धार्मिक तौर पर दान और कर्मकांड करता है तो उसे आत्मा की शांति मिलती है। इसलिए कई लोग दान और कर्मकांड करके खुद का श्राद्ध करते हैं। एक मान्यता ऐसी भी है यहां जो भी लोग खुद का श्राद्ध करने आते हैं वह दाहिने हाथ से विष्णु भगवान विष्णु जनार्दन को पिंडदान ग्रहण कराते है। 

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क्या है विष्णु जनार्दन मंदिर की पौराणिक कथा
विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा बेहद ही दिलचस्प है  इस मंदिर का इतिहास हजारों साल प्राचीन बताया जाता है मान्यता के अनुसार यह मंदिर 45 देवियों में से एक देवी के रूप में विख्यात है। विष्णु जनार्दन एवं स्वामी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका जिक्र पुराणों में भी मिलता है।  इसलिए यहां  काफी अधिक संख्या में लोग पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं। यह मंदिर चट्टानों से निर्मित है यहां जो भी  लोग सच्चे मन से पिंडदान करने पहुंचते है l तो उसकी सभी कामना मनोकामना पूरी होती हैं। 

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गया में माता सीता ने भी किया था पिंडदान
गया में पिंडदान का जिक्र रामायण में भी किया गया है। कहते हैं कि गयाजी में किए गए पिंडदान का गुणगान स्वयं भगवान श्रीराम ने भी किया है। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, माता सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए इसी स्थान पर पिंडदान किया था।

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कैसे पहुंचे और कहां ठहरें
देश के किसी भी हिस्से से गया पहुंचना बहुत ही आसान है। आप इसके लिए ट्रेन हवाई जहाज या सड़क मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से गया पहुंच सकते हैं।  इसके लिए दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई लखनऊ आदि बड़े शहरों से बिहार की राजधानी पटना के लिए ट्रेन चलती है।  आप पटना रेलवे स्टेशन से  118 किलोमीटर दूरी तय कर  गया जा सकते हैं । अगर आप हवाई सफर के माध्यम से गया पहुंचाना चाहते हैं तो आप पटना के हवाई अड्डे पहुंचकर,  फिर टैक्सी ,कैब या सरकारी साधन लेकर आसानी से विष्णु जनार्दन मंदिर पहुंच सकते हैं।  वहीं सड़क मार्ग के लिए आपको पटना आरा छपरा समस्तीपुर बेगूसराय बलिया भागलपुर दरभंगा और मधुबनी शहर से सड़क माध्यम से आसानी से जा सकते हैं। आपको बता दे गया में ठहरने के लिए बहुत ही अच्छे और उचित स्थान है l आप रिलैक्स होकर यहां किसी होटल या फिर धर्मशाला में ठहर सकते हैं। जहां का किराया बहुत ही कम है और खाने पीने से लेकर आपको सभी चीज यहां मिल जाएंगी।

 

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