Navratri 2023 : बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए माता के मंदिर का रहस्य! यहां मूर्ति दिन में 3 बार बदलती है रंग

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नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। इस दौरान भक्त अपने घर में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। नवरात्रि का पावन पर्व शक्ति की उपासना के लिए जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए भक्त कई जतन करते हैं। ताकि माता दुर्गा की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। वैसे तो देश भर में मां दुर्गा से जुड़े कई ऐसे में मंदिर हैं, जिससे जुड़े रहस्यों की गुत्थी को वैज्ञानिक भी नहीं सलझा पाए। मगर नवरात्रि में आज हम आपको माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मां की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है।

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कहां स्थित है स्याही देवी माता मंदिर
उत्तराखंड से अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर शीतलखेत की ऊंची पहाड़ियों पर जंगल के बीच माता स्याही देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि माता का यह मंदिर आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। माता स्याही देवी मंदिर से जुड़ी खास बात यह है कि यहां देवी की प्रतिमा दिन में तीन बार स्वरूप बदलती है। मतबल यहां पर माता के तीन स्वरूप नजर आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में सुबह के समय माता सुनहरे रंग में दिखाई देती हैं। साथ ही दिन में काला और शाम के समय माता सांवले रंग में दर्शन देती है।

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स्वामी विवेकानंद ने भी की थी यहां तपस्या
स्याही देवी मंदिर से जुड़ी एक अन्य मान्यता यह भी है कि इसका निर्माण कत्यूरी शासन काल में हुआ था। साथ ही कत्यूरी राजाओं ने इस मंदिर को एक रात में बनवाया था। कहा जाता है कि पहले यह मंदिर वर्तमान स्थान से तकरीबन आधा किलोमीटर दूर घने जंगल में था। उस वक्त वहां जंगली जानवरों का भय रहता था, इसलिए बहुत कम भक्त ही यहां पहुंच पाते थे, इसलिए कालांतर में इस मंदिर को शीतलखेत की उंची पहाड़ियों पर लाया गया। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि यहां कुछ दिनों तक स्वामी विवेकानंद ने भी तपस्या की थी।

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दिन में तीन बार माता की मूर्ति बदलती है अपना रूप

 कहा जाता हैकि उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवातों का वास है। वहीं नवरात्रि के अवसर पर यहां दूर-दूर से भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। इस मंदिर में स्थापित माता की मूर्ति की खास बात ये है कि मंदिर में माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। बता दें कि मंदिर में लगी माता की मूर्ति के तीन रूप दिखाई देते हैं. सुबह माता का रूप सुनहरा, दिन में काला और शाम को सांवला होता है। वैसे तो मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि में तो दूर-दूर से भक्त माता स्याही देवी के दर्शन और आशिर्वाद प्राप्त करने आते हैं और दर्शन मात्र से ही उनकी सही मनोकामना पूरी हो जाती है।

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