Mahashivratri 2023 : देश का वो मंदिर जहां स्थापित हैं 525 शिवलिंग, यहां दर्शन का है विशेष महत्व

राजस्थान के कोटा शहर के थेगड़ा इलाके में स्थित शिवपुरी धाम 525 शिवलिंग स्थापित है। इस धाम का एक किस्सा नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के संरक्षक नागा साधु सनातन पुरी महाराज हैं। जिनके गुरुदेव दिवंगत राणाराम पुरी महाराज ने मंदिर की 35 साल पहले कठिन योग, तप और साधना के बाद यहां 525 शिवलिंग की स्थापना कराई थी। सनातन पुरी महाराज का कहना है कि मंदिर में 525 शिवलिंग हैं। इनको जोड़ने पर 12 आता है। ऐसे में यहां दर्शन और पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग का फल मिलता है।
सनातन पुरी महाराज बताते हैं कि दिवंगत नागा साधु राणा रामपुरी महाराज थेगड़ा में शिवपुरी धाम की जगह पर रहते थे। तब यहां पर मंदिर नहीं था। वे 1980 के आसपास नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए। वहां भगवान शिव को अर्पण करने के लिए प्रसाद, बेलपत्र, अगरबत्ती और मालाएं इत्यादि लेकर गए। लेकिन, मंदिर में नहीं ले जाने दिया गया, साथ ही हर मंदिर में एक ही मूर्ति थी, जिनके दर्शन के लिए लाइन लगी थी। पूजा सामग्री को पुलिसकर्मी ले लेते थे। इसके चलते श्रद्धालुओं को चंद सेकंड ही दर्शन के लिए भगवान दिखाई देते,ऐसे में नागा साधु राणाराम पुरी ने तय किया कि ऐसा धाम बनाएंगे, जहां महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार में लाखों लोग पूजा कर सकेंगे।
लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र
शिवपुरी धाम में पहले केवल प्राचीन धुना (छोटा मंदिर) हुआ करता था। इसके बारे में बताया जाता है कि वह 500 से 1000 साल पुराना है। राज परिवार की जमीन धुना के आसपास थी। उन्होंने ही इस जमीन को मंदिर के लिए दी।
साल 1986 में नागा साधु राणा रामपुरी महाराज ने ने राज परिवार से जमीन लेकर 525 शिवलिंग स्थापना करने की शुरूआत कर दी। उनका देहांत 1987 में हो गया था। जिसके बाद सनातन पुरी महाराज ने इसकी कमान संभाली और मंदिर में 525 शिवलिंग स्थापित कराए गए। जिसके बाद यह अनूठा धाम बन गया और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था यहां से जुड़ गई है।
दूर-दूर से लोग आते हैं इस मंदिर में
सनातन पुरी महाराज का कहना है कि यहां पर 525 शिवलिंग विराजमान हैं। भोलेनाथ के स्वरूप के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते है। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु पूजा, रुद्राभिषेक, प्रार्थना, वंदना और परिक्रमा करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां पूजा-अर्चना से श्रद्धालु के जीवन में खुशहाली आती है।
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