ये हैं दुनिया भर के 10 प्राचीन भव्य मंदिर, जानें इससे जुड़ी खास बातें
भारतीय संस्कृति दुनियाभर के लोगों को प्रभावित करती है। विदेशों में भी भारतीय संस्कृति की झलक देखी जा सकती है। वैसे तो भारत के हर भूभाग में मंदिर मिलेंगे पर क्या आप जानते हैं, दुनिया के अन्य देशों में भी हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर मौजूद हैं। कुछ मंदिर ऐसे हैं जो उन देशों के लिए पर्यटन का बड़ा केंद्र भी बन गए हैं। आज आपको ऐसे ही कुछ विदेशों में बने भव्य मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं -

10.पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल)
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू का सबसे पुराना मंदिर है। इसका निर्माण 11वीं सदी में हुआ था, बाद में 12वीं और 17वीं में इसका पुन र्निर्माण किया गया। इस मंदिर में चारों दिशाओं में एक मुख है और एक मुख ऊपर की दिशा में भी है। हर मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल मौजूद है। यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल में महादेव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में भी शामिल है।
9.राधा माधव धाम(अमेरिका)
राधा माधव धाम जिसे बरसाना धाम के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना 1990 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ डिवाइन लव के मुख्य अमेरिकी केंद्र के रूप में हुई थी। यह लगभग 3,300 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बना हुआ है। इस मंदिर के गुंबदों की ऊंचाई लगभग 90 फीट की है।राधा माधव धाम भारत में ब्रज की पवित्र भूमि का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाया गया था, जहां माना जाता है कि राधा और कृष्ण 5 हजार साल पहले प्रकट हुए थे।इसे अमेरिका में तीर्थ स्थान के रूप में डिजाइन किया गया है। राधा माधव धाम के क्षेत्रों को ध्यान के स्थान के रूप में विकसित किया गया है। इस मंदिर में ब्रज के स्थान जैसे गोवर्धन , राधा कुंड , प्रेम सरोवर , श्याम कुटी , और अन्य राधा माधव धाम में दर्शाए गए हैं जहां कालिंदी नामक एक प्राकृतिक धारा वृंदावन की यमुना नदी का प्रतिनिधित्व करती है।

8.श्री स्वामीनारायण मंदिर (अटलांटा, अमेरिका)
स्वामी नारायण संप्रदाय का यह मंदिर भारत के बाहर स्थित हिंदू मंदिरों में सबसे विशाल मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के कुछ स्तंभ लगभग 75 फीट ऊंचे है। मंदिर का निर्माण पारंपरिक रूप के नक्काशीदार पत्थर से किया गया है।अटलांटा में श्री स्वामीनारायण मंदिर एक प्रभावशाली 32,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है। इसका निर्माण 4,500 टन से अधिक में हुआ है। इस मंदिर में इटैलियन करारा संगमरमर, 4,300 टन तुर्की चूना पत्थर, और 3,500 टन भारतीय गुलाबी बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।

7.श्रीस्वामीनारायण मंदिर (लंदन)
आमतौर पर इसे नेसडेन टेम्पल के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू मंदिर नेस्डन लंदन में स्थित है। ये पूरी तरह से पारंपरिक तरीकों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। ये मंदिर ब्रिटेन का पहला प्रामाणिक हिंदू मंदिर बताया गया है। इतना ही नहीं यह यूरोप का पहला पारंपरिक हिंदू पत्थर मंदिर भी था, जो परिवर्तित धर्मनिरपेक्ष इमारतों से अलग था। यह बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान संगठन का एक हिस्सा है और 1995 में इसका उद्घाटन प्रधान स्वामी महाराज ने किया था। इस मंदिर का निर्माण और देखभाल बीएपीएस संस्था करती है। जो पत्थर इस मंदिर में प्रयोग किए गए है, वो किसी भी हिंदू मंदिर में प्रयोग नहीं किए गए।
6.श्रीवेंकटेश्वर बालाजी मंदिर (इंग्लैंड)
श्रीवेंकटेश्वर बालाजी मंदिर पुरे यूरोप में भगवन वेंकटेश्वर का पहला मंदिर था। इस मंदिर का उद्घाटन 23 अगस्त 2006 में किया गया था। इस मंदिर में स्थित भगवन विष्णु की मूर्ति लगभग 12 फीट की है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा में हिंदू भगवान विष्णु के एक रूप को समर्पित है । मंदिर टिविडेल , वेस्ट मिडलैंड्स , इंग्लैंड में बर्मिंघम शहर के उत्तर-पश्चिम में टिपटन और ओल्डबरी के उपनगरों के बीच स्थित है। मंदिर को भारत के आंध्र प्रदेश में तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर से प्रेरणा लेकर डिजाइन किया गया था ।

5.मुन्नेस्वरम मंदिर (मुन्नेस्वरम, श्रीलंका)
यह मंदिर श्रीलंका के एक गांव मुन्नेश्वर में बना हुआ है| इस मंदिर के साथ देवी काली का भी मंदिर बना हुआ है| मंदिर की बनावट दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में की गयी है| यहाँ साल भर श्रदालुओं की भीड़ लगी रहती है|मुन्नेस्वरम मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का है। कहा जाता है कि पुर्तगालियों ने दो बार इस मंदिर पर हमला कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की था लेकिन वो मंदिर को कोई हानि न पहुंचा सके।
4.अफ्रीकी हिंदू मठ (घाना)
अफ्रीकी हिंदू मठ की स्थापना स्वामी घनानंद सरस्वती ने की थी। ये मठ हिंदू तो है, लेकिन यहां हिंदू भक्त बहुत कम है। इस मंदिर के ज्यादातर अफ्रीकी भक्त है, जो हिंदू धर्मं के रीती रिवाजों का पालन करते है। बता दें कि 1962 में मात्र 25 वर्ष की आयु में स्वामी घनानंद घाना की राजधानी अकरा चले गए। उसके बाद उन्होंने 1975 में अफ्रीका के घाना में पहले अफ्रीकी हिन्दू मठ की स्थापना की थी।
3.मुरुगन मंदिर (ऑस्ट्रेलिया)
मुरुगन मंदिर को हिंदुओं, सनातन के अनुयायियों और दुनिया भर के भक्त के लिए सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में दुनिया भर से हजारों की तादाद में लोग भगवान मुरुगन का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। यह मंदिर श्री मुरुगन को समर्पित है। इन्हे युद्ध का देवता माना जाता है. जो मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी क्षेत्र में पूजे जाते हैं।मुरुगन मंदिर सिडनी के न्यू साउथ वेल्स के पहाड़ों पर स्थित है। सिडनी में रह रहे एक तमिल व्यक्ति ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की देखभाल शैव-मनरम नाम की हिंदू सोसाइटी करती है।
2.श्री सुब्रमण्यम देवस्थान (मलेशिया)
श्री सुब्रमण्यम देवस्थान मंदिर बातू गुफा कुआलालंपुर के उत्तर में लगभग 13 की.मी दूरी पर है। लाल कृष्णा पिल्लई ने सन 1890 में इस गुफा के बाहर मुरुगन स्वामी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। मुरुगन की यह प्रतिमा दुनिया में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा मानी जाती है। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए गुफा से जाना होता है। गुफा के अंदर जाकर आप एक अलग ही अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं। यहां लोग दीया जलाकर भगवान से प्रार्थना करते हैं। यहां 272 सीढ़ीयां हैं जिससे होकर लोग अंदर जाते हैं। इस गुफा के भीतर ही ऊपर एक चट्टान है जिसे स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है।
1.अंगकोर वट(कंबोडिया)
अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर तथा धार्मिक स्मारक है। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन के शासनकाल में हुआ था। यहां अभी विष्णु मंदिर है, जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बसा यह मंदिर संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है।इस मंदिर का निर्माण 1112 से 53 ईस्वी में सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल में हुआ था। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गयी चित्र और मूर्तियां हिन्दू धर्म के गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं। सीताहरण, राम रावण का युद्ध, महाभारत आदि के चित्र बहुते ही बारीकियों से उकेरी गयी है।
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