इस मंदिर में होती है हनुमान जी के नारी रूप की पूजा, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी
भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है, यही वजह है कि महिलाओं को उनकी किसी भी मूर्ति को छूने से मना किया जाता है। लेकिन आज एक हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां हनुमान जी को स्त्री रूप में पूजा जाता है। जी हां यह सुनकर आपको भी हैरानी हुई ना, लेकिन यह सत्य है। यह मंदिर काफी अद्भुत और चमत्कारी है, हनुमान जी के नारी रूप के पीछे दस हजार साल पुरानी कहानी है जुड़ी है। तो आइए जानते है क्या इसके पीछे का रहस्य।
कहां है यह मंदिर?
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से 25 किमी दूर है। इस शहर को महामाया शहर भी कहा जाता है क्योंकि चर्च में स्थित मां महामाया देवी और हनुमानजी का मंदिर है। इस छोटे से शहर में स्थित यह दुनिया का एकमात्र हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी को एक महिला के रूप में पूजा जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में आने वाले ये भक्त हजारों मन्नत लेकर आते हैं और इस जगह से वे कभी निराश नहीं होते। लोगों के सम्मान और भावना से भरे इस मंदिर में हमेशा लोगों का आना-जाना लगा रहता है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
इस मंदिर की स्थापना पृथ्वी देवजू ने की है, जो कि तत्कालीन राजा थे। एक बार की बात है कि राजा पृथ्वी को कुष्ठ रोग हो गया। इसके लिए उन्होंने सभी जतन किए, लेकिन उनका कुष्ठ रोग ठीक नहीं हुआ। तब उन्हें किसी ज्योतिष ने हनुमान जी की पूजा-उपासना करने की सलाह दी। राजा पृथ्वी ने हनुमान जी की कठिन भक्ति की, जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी एक रात स्वप्न में आकर बोले-अपने क्षेत्र में एक मंदिर बनवाओ, जिसके समीप एक सरोवर खुदवाओ। इस सरोवर में स्नान करने से तुम्हारा कुष्ठ रोग दूर हो जाएगा।

जिसके बाद राजा देवजू ने हनुमान जी के वचनों का पालन कर मंदिर बनवाया, सरोवर खुदवाया और सरोवर में स्नान भी किया। इससे राजा का कुष्ट रोग ठीक हो गया। इसके कुछ दिन बाद राजा को हनुमान जी का स्वप्न आया कि सरोवर में एक प्रतिमा अवस्थित है, उसे मंदिर में स्थापित करो। राजा के सेवकों ने सरोवर में प्रतिमा की तलाश की तो उन्हें एक हनुमान जी की नारी स्वरूप वाली प्रतिमा मिली, जिसे मंदिर में स्थापित किया गया।
अद्भुत चमत्कारिक मूर्ति है बजरंग बली की
राजा को मिली इस मूर्ति में कई विशेषताएं हैं। इस मूर्ति में अद्भुत चमक है। इसका मुख दक्षिण की ओर है और साथ ही मूर्ति पाताल लोक को दर्शाती है। मूर्ति में रावण के पुत्र अहिरवान के हनुमान का वध किया जाता है। यहां अहिरावण को हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे और कसाई को दाहिने पैर के नीचे दफनाया गया है। हनुमान जी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण की झलक है। उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली है।

