श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर: जहां प्रकट हुआ था पहला शिवलिंग, पूरे विश्व में भगवान शिव का है यह सबसे बड़ा मंदिर

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कहाँ है ऐसा अद्भुत मंदिर जहाँ भगवान शिव (Shiv) ने अपने आप को लिंग रूप में स्थापित कर लिया था। चलिए जानते हैं इसके पीछे की क्या है कहानी। आज जिस मंदिर(Tample) की हम बात कर रहें हैं वो सदियों पुराना मंदिर है। जिसे अरुणाचलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित है। मान्यता है हिन्दू धर्म में धूमधाम से मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि त्यौहार की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। विश्व के बड़े मंदिरों में भी ये मंदिर शामिल है। शिवि अरुणाचलेश्वर मंदिर( Arunachaleshwar Temple) भगवान शिव के पंच भूत क्षेत्रों में से एक है। इसे अग्नि क्षेत्रम के रूप में भी सम्मान दिया जाता है। 

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लिंग रूप में भगवान शिव हैं स्थापित 
शिवपुराण के अनुसार भगवान् विष्णु और ब्रह्मा को अपनी शक्ति का परिचय करने के लिए शिव ने इस स्थान पर अखंड ज्योति स्थापित कि थी। हर पूर्णिमा पर श्रद्धालु हजारों , लाखों की संख्या में शिव की पूजा के लिए यहाँ एकत्रित होते हैं। इस पर्वत के चारों ओर आपको कई नदी देव पर्वत की ओर मुखकर के दिखेंगे क्योंकि इस पर्वत में शिव ने स्वयं को लिंग रूप में स्थापित किया था , माना जाता है कि श्रद्धालु और भक्तों की प्रार्थना पर शिव ने मंदिर में लिंग रूप में स्थापित कर लिया था। ताकि उनके भक्त उनके दर्शन कर सके। 
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अग्नि लिंगम के रूप में स्थापित शिवलिंग 
भगवान शिव की पूजा भूतनाथ के रूप में भी की जाती है। भूतनाथ का अर्थ है ब्रह्मांड के पांच तत्वों, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के स्वामी। इन्हीं पंचतत्वों के स्वामी के रूप में भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिरों की स्थापना दक्षिण भारत के पांच शहरों में की गई है। ये शिव मंदिर, भारत भर में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समान ही पूजनीय हैं। इन्हें संयुक्त रूप से पंच महाभूत स्थल भी कहा जाता है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर इन्हीं पंच भूत स्थलों में से एक है, जहां अग्नि रूप में भगवान शिव की पूजा होती है और यहां स्थापित शिवलिंग को अग्नि लिंगम कहा जाता है।

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मंदिर की संरचना एवं स्थापत्य कला
भगवान शिव की उपासना को समर्पित यह श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर, विश्व भर में भगवान शिव का सबसे बड़ा मंदिर है। लगभग 24 एकड़ क्षेत्रफल में अपने विस्तार के कारण यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। मंदिर के निर्माण के लिए ग्रेनाइट व अन्य कीमती पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त पांच अन्य मंदिरों का निर्माण किया गया है। अन्नामलाई की पहाड़ी की तलहटी पर स्थित इस पूर्वाभिमुख मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं और यहां चार बड़े गोपुरम बनाए गए हैं, जिनमें से सबसे बड़े गोपुरम को ‘राज गोपुरा’ भी कहा जाता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 217 फीट है और यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रवेश द्वार है। आपको बता दें कि श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर में हजार स्तंभों का एक हाल भी है, जिसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय ने कराया था। 

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मंदिर के मुख्य मार्ग में स्थापित हैं आठ शिवलिंग 
मुख्य मंदिर तक पहुंचने के मार्ग में कुल आठ शिवलिंग स्थापित हैं। इंद्र, अग्निदेव, यम देव, निरुति, वरुण, वायु, कुबेर और ईशान देव की पूजा करते हुई आठ शिवलिंगों के दर्शन करना अत्यंत पवित्र माना गया है। मंदिर के गर्भगृह में तीन फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है, जिसका आकार गोलाई लिए हुए चौकोर है। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को लिंगोंत्भव कहा जाता है और यहां भगवान शिव अग्नि के रूप में विराजमान हैं, जिनके चरणों में भगवान विष्णु को वाराह और ब्रह्मा जी को हंस के रूप में बताया गया है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन में श्रद्धालुओं का रेला दर्शन के लिए उमड़ पड़ता है।

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