जानिए अत्यंत ही पवित्र और मंगल माने जाने वाले शंख का प्रयोग क्यों भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता

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श्रद्धा और विश्वास के साथ देवो के देव महादेव की साधना करने पर उनकी कृपा बरसती है और जीवन से जुड़े सभी दु:ख, रोग, शोक दूर होते हैं। लेकिन सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाले भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग भूल कर भी न करें। अन्यथा भगवान शिव की कृपा की जगह आपको उनके कोप को झेलना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर पूजा के लिए अत्यंत ही पवित्र और मंगल माना जाने वाला शंख का प्रयोग भगवान शिव की साधना में क्यों नहीं होता है। क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा...

शिव और शंख से जुड़ी़ पौराणिक कथा 

हिंदू धर्म में जिस शंख को कई देवी-देवताओं ने अपने हाथ में धारण कर रखा है और जिस शंख के बगैर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानी जाती है, उसी शंख का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के अनुसार एक बार राधा रानी किसी कारणवश गोलोक से कहीं बाहर चली गईं थीं। उसके बाद जब भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे, तभी उनकी वापसी होती है और जब राधारानी भगवान श्रीकृष्ण को विरजा के साथ पाती हैं तो वे कृष्ण एवं विरजा को भला बुरा कहने लगीं। स्वयं को अपमानित महसूस करने के बाद विरजा विरजा नदी बनकर बहने लगीं।

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तब राधा रानी ने सुदामा को दिया श्राप राधा रानी के कठोर वचन को सुनकर उनके सुदामा ने अपने मित्र भगवान कृष्ण का पक्ष लेते हुए राधारानी से आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगे। सुदामा के इस व्यवहार से क्रोधित होकर राधा रानी ने उन्हें दानव रूप में जन्म लेने का शाप दे दिया। इसके बाद सुदामा ने भी राधा रानी को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। इस घटना के बाद सुदामा शंखचूर नाम का दानव बना। 

भगवान शिव ने किया था शंखचूर का वध

शिवपुराण में भी दंभ के पुत्र शंखचूर का उल्लेख मिलता है। यह अपने बल के मद में तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा। साधु-संतों को सताने लगा. इससे नाराज होकर भगवान शिव ने शंखचूर का वध कर दिया। शंखचूर विष्णु और देवी लक्ष्मी का भक्त था। भगवान विष्णु ने इसकी हड्डियों से शंख का निर्माण किया, इसलिए विष्णु एवं अन्य देवी देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जाता है। लेकिन शिव जी ने शंखचूर का वध किया था., इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया।

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शिव पूजा में इन चीजों की है मनाही 

भगवान शिव की पूजा में कुमकुम, रोली और हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता है. 

भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जो मात्र बेलपत्र और शमीपत्र आदि को चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन भूलकर भी उनकी पूजा में तुलसी का पत्र न चढ़ाएं. 
भगवान शिव का नारियल से अभिषेक नहीं करना चाहिए. 

भगवान शिव की पूजा में केतकी, कनेर, कमल या केवड़ा के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए

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