कामदा एकादशी आज, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व...
साल की सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है। इन एकादशी में कामदा एकादशी को भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से और इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान कृष्ण की पूजा करने से पापों का नाश होता है। साथ ही श्रीहरि की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस साल कामदा एकादशी 12 अप्रैल मंगलवार को है। आइए जानते है कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
कामदा एकादशी की तिथि व शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 12 अप्रैल को सुबह साढ़े चार बजे शुरु हो गई है, यह 13 अप्रैल को सुबह 05:02 बजे तक मान्य है। इस दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है। सुबह 05:59 बजे से लेकर सुबह 08:35 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। आप चाहें तो प्रात: ही स्नान के बाद कामदा एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस दिन का शुभ समय 11:57 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक है।
कामदा एकादशी व्रत व पूजा विधि
12 अप्रैल को प्रात: स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहन लें, फिर पूजा स्थान की सफाई करें
वहां पर एक चौकी स्थापित करें, उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें
फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें
हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर कामदा एकादशी व्रत का संकल्प लें
अब पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें
उनको पीले फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, तुलसी का पत्ता, सुपारी, पान, चंदन, केला आदि चढ़ाएं
इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें।
फिर विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें
सबसे अंत में भगवान विष्णु की आरती करें
पूजा के अंत में भगवान विष्णु से पापों से मुक्ति एवं दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें
पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को केला, अनाज, पीले वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान करें
फलाहार करते हुए व्रत रहें
शाम के समय में आरती करें और रात्रि में भगवान विष्णु का जागरण करें
अगले दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें
13 अप्रैल को दोपहर 01:39 बजे के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें
व्रत का पारण शाम 04:12 बजे तक कर लेना है
इस व्रत को करने से राक्षस योनि से मुक्ति मिलती है और पाप एवं कष्ट भी मिट जाते है।

