महिलाएं इन 3 दिन भूलकर भी न धोए बाल, मान्यताओं के अनुसार हो सकता है अशुभ

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हिंदू धर्म में सदियों से कई परंपराएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जिन्हें आज भी लोग आस्था और विश्वास के साथ अपनाते हैं। ये मान्यताएं न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे होते हैं। आपने अक्सर घर के बुजुर्गों को विशेष दिनों पर बाल धोने से रोकते हुए सुना होगा। खासकर, मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल धोने को अशुभ माना जाता है।

मंगलवार को क्यों नहीं धोने चाहिए बाल?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंगलवार को बाल धोने से घर की सुख-समृद्धि में कमी आती है और आर्थिक हानि हो सकती है। इसके अलावा, कहा जाता है कि इस दिन विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा बाल धोने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। विशेष रूप से कुंवारी लड़कियों के लिए यह दिन अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे उनके भाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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गुरुवार को बाल धोने की परंपरा क्यों वर्जित है?

भारत के कई हिस्सों में महिलाएं गुरुवार को बाल धोने से बचती हैं, क्योंकि यह मान्यता है कि ऐसा करने से घर से भगवान बृहस्पति और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद चला जाता है, जिससे आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं। सदियों से ऐसी कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें कहा गया है कि जो महिलाएं गुरुवार को बाल धोती थीं, वे धीरे-धीरे अपनी संपत्ति और समृद्धि खो बैठती थीं। यही कारण है कि कई लोग गुरुवार को न केवल बाल, बल्कि कपड़े धोने को भी अशुभ मानते हैं।

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शनिवार को बाल धोना क्यों माना जाता है अशुभ?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शनिवार को बाल धोना दुर्भाग्य को आमंत्रित कर सकता है। कहा जाता है कि इस दिन बाल धोने से घर में परेशानियां और बुरी किस्मत आ सकती है। हालांकि, इसके विपरीत कुछ लोग मानते हैं कि शनिवार को बाल धोना साढ़े साती और शनि दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। लेकिन एक आम धारणा यह भी है कि इस दिन बाल धोने से शनिदेव नाराज हो सकते हैं, जिससे जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है।

दुनिया भर के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में सप्ताह के अलग-अलग दिनों के हिसाब से विशेष रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन किया जाता है। ये परंपराएं सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं और इनके पीछे धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और कभी-कभी वैज्ञानिक कारण भी होते हैं।

उदाहरण के तौर पर, कई समुदायों में यह माना जाता है कि गुरुवार और शनिवार को पुरुषों के लिए दाढ़ी बनाना वर्जित है। इस परंपरा का पालन धार्मिक मान्यताओं और विश्वासों के आधार पर किया जाता है। इन दिनों को विशेष रूप से उन कार्यों से बचने के रूप में देखा जाता है, जिन्हें अशुभ माना जाता है।

इस प्रकार, इन दिनों के आधार पर विभिन्न रीति-रिवाजों को मानने की परंपरा दुनिया भर में प्रचलित है, और इनका पालन लोग अपने विश्वास और आस्था के अनुसार करते हैं।

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