कब है जुलाई की पहली एकादशी? नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बेहद खास मानी गई है। हर महीने में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है। हर महीने में पड़ने वाली एकादशी का अपना नाम और अलग महत्व होता है। इस साल जुलाई की पहली एकादशी योगिनी एकादशी है. हर साल आषाढ़ मा​स के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी व्रत के दिन 2 शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि सिर्फ पुण्य लाभ के लिए पृथ्वी लोक पर ही नहीं, पाताल और स्वर्ग लोक में भी योगिनी एकादशी प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं कि जुलाई का पहला एकादशी व्रत कब है, योगिनी एकादशी व्रत पूजा का मुहूर्त, व्रत का पारण समय और महत्व क्या है?

किस दिन है आषाढ़ की पहली एकादशी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 जुलाई दिन सोमवार को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। यह तिथि 2 जुलाई दिन मंगलवार को सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। ऐसे में मान्य उदयातिथि के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत यानी जुलाई की पहली एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। 

योगिनी एकादशी 2024 मुहूर्त
जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वो 2 जुलाई को सुबह में स्नान आदि के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करके उपवास शुरू करें। फिर सुबह 5:27 बजे के बाद से दिन में किसी भी समय भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। सुबह 08:42 से विष्णु पूजा के लिए शुभ फलदायी समय रहेगा। 

इन 2 शुभ योग में रखा जाएगा योगिनी एकादशी व्रत 2024
इस साल की योगिनी एकादशी का व्रत 2 शुभ योग में पड़ रहा है। योगिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।  सर्वार्थ सिद्धि योग 2 जुलाई को सुबह 5:27 बजे से अगले दिन 3 जुलाई को सुबह 4:40 बजे तक रहेगा. वहीं त्रिपुष्कर योग 2 जुलाई को सुबह 8:42 से 3 जुलाई को 4:40 तक मान्य है। 

धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में​ किया गया कोई भी कार्य सफल होता है। वहीं, त्रिपुष्कर योग में पूजा-पाठ, दान, यज्ञ या कोई और शुभ कार्य करने से उसका तीन गुना फल मिलता है। त्रिपुष्कर योग में योगिनी एकादशी व्रत की पूजा करना बेहद फलदायी रहेगा। 

योगिनी एकादशी 2024 व्रत पारण समय
जो भी लोग 2 जुलाई को योगिनी एकादशी व्रत रखेंगे, वे अगले दिन 3 जुलाई को व्रत का पारण करेंगे। योगिनी एकादशी व्रत का पारण 3 जुलाई सुबह 5:28 बजे से लेकर सुबह 7:10 बजे के बीच है. उस दिन द्वादशी तिथि का समापन सुबह 7:10 पर होगा। 

योगिनी एकादशी क्यों मनाते हैं?
पौराणिक कथा के अनुसार, योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है। कहा जाता है कि उसके सभी पाप मिट जाते हैं और उसे वैकुण्ड लोक में स्नान करने को मिलता है। यह व्रत रखने वाला व्यक्ति जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। भगवान श्रीकृष्ण से खुद युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया था। ऐसी मान्यता है कि जो इस व्रत को करता है, उसे पृथ्वी पर सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं। 


 

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