कब है कजरी तीज? जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर सही पूजा विधि तक, सब कुछ

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कजरी तीज का विशेष महत्व है।पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा जाता है। परन्तु इस व्रत के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना अवश्य है जिनका पालन ना करने पर व्रत व्यर्थ माना जाता है।चलिए जानते हैं कि इस साल कब कब है कजरी तीज और इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त-

सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए तीज का व्रत रखती हैं। हर साल तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता रहा है। ये तीज ऐसे हैं- हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। इन तीनों तीजों के व्रत माता पार्वती और भगवान शंकर को समर्पित होते हैं। सुहाग की लंबी उम्र, संतान की संपन्नता और परिवार की सुख-शांति की कामना के लिए प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। 

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भारत के कई उत्तरी राज्यों में कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। रक्षा बंधन के करीब तीन दिन बाद इस पर्व को मनाने का लिए महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं। अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं कजरी तीज के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करती हैं। कजरी तीज को कजलिया तीज या सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। इस दिन का व्रत रखकर यदि सुहागिन महिलाएं जो भी प्रार्थना करती हैं तो शिव-पार्वती उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। 

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कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का व्रत सुहागिनें अपने पति और संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और खुशहाली के लिए रखती हैं। कजरी तीज का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने पर बहुत सुख-समृद्धि की प्राप्ती होती है। कजरी तीज के व्रत से सुहागिन महिलाओं को मनोवांछित फल प्राप्त होता है, परन्तु इस व्रत को रखते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है नहीं तो व्रत व्यर्थ हो जाता है। पूरे दिन व्रत रखने के पश्चात् सुहागिनें चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। 

इस साल कजरी तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी या कह सकते हैं कि इस तीज का व्रत 2 सितंबर 2023 को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य मिलता है और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसी मान्यता है कि कजरी तीज का व्रत कथा के बिना अधूरा है। कजरी तीज को बड़ी तीज भी कहा जाता हैं साथ ही इस दिन नीम के पेड़ की पूजा भी की जाती है। 

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कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार, 1 सितंबर 2023 को रात के 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 2 सितंबर 2023 को रात के 8 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा। इस बार कजरी तीज पर पूजा करने के लिए 2 शुभ मुहूर्त होंगे। कजरी तीज 2 सितंबर को सुबह 7:57 से 09:31 और रात 9:45 से रात 11:12 शुभ मुहूर्त है। 

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कजरी तीज पर क्या करें क्या ना करें
कजरी तीज पर व्रत रखने के बाद छोटा सा तालाब बनाकर नीम के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही साथ इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य जरूर देना चाहिए।

कजरी तीज के दिन काले एवं सफेद रंग के कपड़े बिल्कुल भी ना पहने। सुहागिनों का चाहिए कि वे हरे या लाल रंग के कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें। 

कजरी तीज पर गेहूं, जौ, चने के सत्तू का उपयाग अवश्य करें। चावल के सत्तू में मेवा और घी मिलाकर पकवान बनाकर इनसे ही व्रत खोलना चाहिए।

पूजा करने के बाद आटे से सात लोइयां बनाकर उन पर गुड़ और घी रखकर गाय को खिलाने से शिव-पार्वती बहुत प्रसन्न होते हैं।

कजरी तीज के दिन वाद-विवाद और क्रोध से बचें। साथ ही साथ घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें। किसी के लिए भी मन और वाणी से अपशब्दों का प्रयोग न करें।

कजरी तीज व्रत में सुहागिनों को मेहंदी लगानी चाहिए। कजरी तीज व्रत के दिन दोपहर में सोने से बचना चाहिए।

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कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को पति से झगड़ा नहीं करना चाहिए और किसी भी प्रकार से अपशब्द न बोलें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। 

सुहागिनों को पूजा करने के बाद किसी भी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। 

कजरी तीज के दिन व्रति सुहागिनों को झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। इससे मां लक्ष्मी नाराज भी हो सकती हैं। 

कजरी तीज का दिन शिव-पार्वती को समर्पित होता है इसलिए व्रत में शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करें।

कजरी तीज पर बादाम का हलवा, खीर, गुजिया और घेवर इत्यादि बनाने की मान्यता है। यदि आप भी अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन चाहती हैं तो यह व्रत रखकर शंकर-पार्वती को प्रसन्न अवश्य करें। 

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