दिवाली की पूजा के बाद गणेश जी और मां लक्ष्मी की पुरानी मूर्ति का क्या करें? जानिए 

WhatsApp Channel Join Now

धनतेरस के साथ दिवाली के पांच दिनों के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। इस बार पूरे देश में 31 अक्टूबर गुरुवार को ही दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। दिवाली के शुभ मौके पर माता लक्ष्मी और गणेश जी पूजा करने का विधान हैं। लोग दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश जी की नई मूर्तियां खरीदकर लाते हैं और पुरानी मूर्तियों को अलग रख देते हैं। लेकिन पिछली दिवाली पर जिन मूर्तियों की अपनी पूजा की है, नई मूर्तियों के आने के बाद उनका क्या करना चाहिए, आइए जानते हैं। 

m

दिवाली की पूजा के बाद पुरानी मूर्ति का क्या करें?

सम्मानपूर्वक रखें
आप इन मूर्तियों को अपने पूजा घर में ही सम्मान पूर्वक किसी स्थान पर रख सकते हैं। साथ ही इन्हें धूल से बचाकर साफ रखें। 

नदी या तालाब में विसर्जन करें
यदि आपकी मूर्ति मिट्टी की बनी हुई है तो आप इसे किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित कर सकते हैं। ध्यान रहे कि विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें। 

मंदिर में दान कर सकते हैं
दिवाली के बाद पुरानी मूर्ति को किसी मंदिर में भी दान कर सकते हैं। इससे मंदिर में मूर्तियों की समय-समय पर साफ सफाई होती रहेगी। 

जमीन में दबा दें
पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश जी की पुरानी मिट्टी की मूर्तियों को किसी गहरे स्थान पर मिट्टी में दबा सकते हैं, जैसे कि आपके घर के बगीचे में।बस इस बात का ध्यान रखें जहां भी आप मूर्तियों का दबा रहे हैं वो लोगों का आना जाना न हो और वो जगह गंदगी वाली न हो। 

m

दिवाली की पूजा के बाद पुरानी मूर्तियों के साथ क्या न करें?

इधर-उधर न फेंकें
मूर्ति को कभी भी कूड़ेदान में या किसी गंदी जगह पर नहीं फेंकना चाहिए। इससे दिवाली के दिन की गई पूजा का फल नष्ट हो जाता है। 

पेड़ के नीचे न रखें
मूर्ति को पेड़ के नीचे या किसी ऐसे स्थान पर नहीं रखना चाहिए जहां पर आते जाते लोगों के पैर उन पर पड़े। 

दिवाली की पूजा के बाद इस तरह करें मिट्टी की मूर्ति का विसर्जन
मूर्ति विसर्जन के लिए कोई ऐसा स्थान चुनें जहां जल का बहाव हो, जैसे नदी, ताकि मूर्ति धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से पानी में घुल सके। रुके हुए तालाब में विसर्जन से पानी प्रदूषित हो सकता है वहीं यदि संभव हो तो मिट्टी से बनी और प्राकृतिक रंगों से रंगी मूर्तियां ही खरीदें. यह पानी में जल्दी घुल जाती हैं और पर्यावरण को कम हानि पहुंचाती है।यदि नदी में मूर्ति विसर्जन संभव न हो, तो घर पर बाल्टी या किसी टब में मूर्ति विसर्जित कर सकते हैं और बाद में उस पानी को किसी बगीचे में डाल सकते हैं। इससे मूर्ति का विसर्जन भी हो जाता है और पानी भी प्रदूषित नहीं होता। यदि मूर्ति के साथ धातु, फूल, वस्त्र आदि हैं, तो इन्हें विसर्जन से पहले अलग कर दें। ये पदार्थ पानी को प्रदूषित कर सकते हैं। विसर्जन के बाद उस जगह को साफ करें और कोशिश करें कि कोई भी प्लास्टिक या कचरा न छूटे। 

Share this story