Vastu Shastra: पूजा-पाठ के लिए कौन सा बर्तन है शुभ और अशुभ, शास्त्र में क्यों है वर्जित
सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा-पाठ करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। लेकिन बता दें कि पूजा-पाठ करते समय ज्योतिषीय, शास्त्रीय और वास्तु नियम का ध्यान रखना पड़ता है। मान्यता है कि इन चीजों को नजरअंदाज करने से पूजा अधूरी रह जाती है। बता दें कि पूजा-पाठ में वास्तु शास्त्र का योगदान बहुत ज्यादा बताया गया है। वास्तु के नियमानुसार, यदि आप पूजा-पाठ करते हैं तो आपके जीवन में किसी तरह की समस्या नहीं आती है। साथ ही जीवन खुशहाल रहता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय हर एक का बारीकी से ध्यान में रखा जाता है। ताकि किसी भी प्रकार की कोई गलती न हो। लेकिन इन सब के बावजूद भी छोटी-छोटी गलतियां हो जाती हैं, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। लोग पूजा-पाठ करते समय स्टील और एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन इन बर्तनों का इस्तेमाल करना अशुभ माना गया है। आज इस खबर में जानेंगे आखिर पूजा-पाठ में किन-किन बर्तनों का इस्तेमाल करना शुभ और अशुभ माना गया है।
पूजा पाठ में भूलकर न करें ये बर्तन का इस्तेमाल
वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आप किसी पूजा-पाठ के कार्यों में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम के बर्तन का इस्तेमाल करते हैं, तो बता दें कि यह शास्त्र में अशुभ माना गया है।
इन बर्तनों का इस्तेमाल करना क्यों हैं वर्जित
शास्त्र के अनुसार, पूजा-पाठ या अनुष्ठान के समय किसी भी वस्तु की शुद्धता और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है। बता दें कि स्टील, एल्युमिनियम और लोहा जैसे बर्तनों को शुभ धातु की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इसलिए तीनों धातुओं से बने बर्तन का इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा-पाठ में प्राकृतिक धातुओं का इस्तेमाल करना चाहिए।
पूजा-पाठ में किस तरह के बर्तन का करें इस्तेमाल
वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी धार्मिक कार्य या पूजा-पाठ में सोना, चांदी, पीतल और तांबा धातु से बने बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए। बता दें कि शास्त्र में इसे बेहद शुभ माना गया है।
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