Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में आजमाएं वास्तु के ये 6 उपाय, धन-धान्य से भरा रहेगा घर
शारदीय नवरात्रि हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान माता दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा विधि-विधान से की जाती है और पूरे नौ दिनों तक माता की धूम रहती है। सुख-समृद्धि, धन और खुशी को आकर्षित करने के लिए अपने घर की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए यह एक शुभ समय माना जाता है।इस दौरान यदि आप कुछ उपाय करते हैं तो उसका पूरे साल आपके जीवन में शुभ प्रभाव होता है। वास्तु शास्त्र की मानें तो आपको इस समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन भी करने की सलाह दी जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन दशहरा पर्व के साथ 12 अक्टूबर को होगा। यदि आप इस दौरान वास्तु के कुछ नियमों का पालन करें तो आपके घर में सदैव माता दुर्गा की कृपा बनी रहेगी। यही नहीं इन उपायों से आपकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी बनी रहेगी। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें उन वास्तु उपायों के बारे में जो आपको शारदीय नवरात्रि में आजमाने चाहिए।
घर की साफ-सफाई का रखें ध्यान
शारदीय नवरात्रि की तैयारी में आपका सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम यह होता है कि आपका घर साफ और अव्यवस्था मुक्त होना चाहिए। वास्तु की मानें तो आपको नवरात्रि आरंभ होने के पहले ही घर के कोने-कोने को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए।घर का ईशान कोण यानी कि उत्तर पूर्व कोना जरूर साफ करना चाहिए। इस उपाय से आपके घर में सदैव समृद्धि बनी रहती है। आपको नवरात्रि के नौ दिनों में अपना घर साफ़ रखना चाहिए और किसी भी स्थान पर कूड़ा-कचरा इकठ्ठा नहीं रखना चाहिए, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। अगर आप घर की सफाई नहीं रखते हैं तो आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। इस दौरान आपको किसी भी टूटी हुई वस्तु को घर से निकाल देना चाहिए।
नवरात्रि के दौरान वास्तु अनुसार करें कलश की स्थापना
आपको नवरात्रि में वास्तु के अनुसार कलश की स्थापना जरूर करनी चाहिए। कलश को घर में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह प्रचुरता, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वास्तु के अनुसार कलश को घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।उत्तर-पूर्व को पूजा के लिए सबसे शुभ दिशा माना जाता है और इसे ईशान कोण के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि घर में स्थापित कलश दैवीय ऊर्जाओं द्वारा शासित होता है। कलश को साफ-सुथरे मंच या पूजा वेदी पर ईशान कोण में स्थापित करें। सुनिश्चित करें कि इसे समृद्धि के प्रतीक के रूप में आम के पत्तों, नारियल और लाल कपड़े से सजाया गया हो।
पूजा कक्ष की सही दिशा का ध्यान रखें
आपके पूजा कक्ष का स्थान और दिशा वास्तु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नवरात्रि के दौरान, सकारात्मक ऊर्जा और माता दुर्गा का आशीर्वाद बनाए रखने के लिए आपको पूजा घर की दिशा सही रखने की आवश्यकता होती है।ध्यान रखें कि आपको पूजा के दौरान भी सही दिशा में बैठना चाहिए। कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके पूजन नहीं करना चाहिए। पूजा कक्ष के लिए घर का पूर्वोत्तर कोना आदर्श माना जाता है।यदि यह संभव न हो तो पूर्व या उत्तर दिशा भी अनुकूल है। भगवान की मूर्तियों का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूजा के दौरान आप पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं। आपको पूजा कक्ष दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व कोने में रखने से बचना चाहिए। ये दिशाएं आपके घर की समृद्धि के प्रवाह को बाधित कर सकती हैं।
धन लाभ के लिए घर पर दीये जलाएं
घर में सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने के लिए दीया जलाना एक शुभ तरीका माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है और अंधकार को दूर करता है, जो आपके घर की सभी बाधाओं को दूर कर सकता है।नवरात्रि में नियमित पूजा-पाठ के अलावा शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीया जलाएं। ईशान कोण को धन और आध्यात्मिक ऊर्जा की दिशा माना जाता है। आप इस दौरान दक्षिण-पूर्व कोने में भी दीये जला सकते हैं, जो अग्नि और धन की दिशा मानी जाती है। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि साफ होना चाहिए।
घर में सही दिशा पर लगाएं शीशा
दर्पण ऊर्जा को प्रतिबिंबित करते हैं और उनका स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यदि इनका उपयोग नवरात्रि के दौरान सही ढंग से किया जाए तो ये धन और वित्तीय वृद्धि में वृद्धि कर सकते हैं।धन ऊर्जा को बनाए रखने के लिए अपने लिविंग रूम की उत्तरी दीवार पर एक दर्पण लगाएं। आप कभी भी घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने दर्पण न लगाएं, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर चली जाती है। सुनिश्चित करें कि घर में दर्पण साफ और टूटा हुआ न हो।
घर का प्रवेश द्वार वास्तु के अनुसार सजाएं
वास्तु शास्त्र में आपके घर के प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार को ऊर्जा का मुख माना जाता है। एक सुव्यवस्थित प्रवेश द्वार सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है, जबकि एक उपेक्षित प्रवेश द्वार वित्तीय नुकसान और बाधाओं का कारण बन सकता है।सुनिश्चित करें कि नवरात्रि के दौरान मुख्य प्रवेश द्वार साफ, अच्छी रोशनी वाला और अव्यवस्था से मुक्त होना चाहिए। प्रवेश द्वार को आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से बने रंग-बिरंगे तोरण से सजाएं। इससे ना सिर्फ सुंदरता बढ़ती है बल्कि समृद्धि भी आती है। धन और सौभाग्य को आकर्षित करने के लिए प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह या श्री यंत्र रखें।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।