Sawan Parthiv Shivling Puja 2024: सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा क्यों मानी जाती है बेहद जरूरी? जानें इसका महत्व

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हिंदू धर्म में पार्थिव शिवलिंग के निर्माण और पूजा का विशेष महत्व है। लोग सावन में और शिव जी के विशेष वार यानी शिवरात्रि, प्रदोष व्रत आदि पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते हैं। सावन के महीने में मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग के पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि इस शिवलिंग का निर्माण शुद्ध चीजों के इस्तेमाल जैसे शुद्ध मिट्टी, गंगा जल, गाय का घी, गाय के गोबर के उपलों का राख आदि पवित्र चीजों को मिलाकर किया जाता है। इसलिए इस शिवलिंग का खास महत्व होता है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण और इसकी पूजा को सावन के महीने में बेहद महत्वपूर्ण होती है। 

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सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व
सावन माह को हिंदू पंचांग में विशेष रूप से पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इस माह में धार्मिक कार्यों और भगवान शिव के प्रति भक्ति, पूजा और विशेष समर्पण विशेष महत्व होता है। अगर ऐसे में कोई भक्त पूरी श्रद्धा और भाव से भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करता है, तो भोलेनाथ उसकी सभी इच्छाओं को पूरा कर देते हैं। 

शिवलिंग का पार्थिव रूप
पार्थिव शिवलिंग का अर्थ होता है मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग। यह पूजा शिवलिंग की शुद्धता और साकारता को दर्शाती है और शिव भक्ति में अधिक साकार अनुभव कराती है। भगवान शिव का पार्थिव स्वरूप भक्त के भगवान के प्रति संपूर्ण भाव को समर्पित है। 

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शिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग की पूजा
सावन मास की शिवरात्रि के दिन पार्थिव शिवलिंग की विशेष महत्व माना गया है। सावन और शिवरात्रि दोनों ही भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है और पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। 

शिव के सभी रूपों में सर्वश्रेष्ठ
शिवपुराण की कथा के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा को भगवान शिव के सभी रूपों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और फलदायी माना गया है। शिवपुराण की के अनुसार, सावन के महीने में शुद्ध मिट्टी और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने से हाथों की रेखाएं बदलती हैं और जीवन में अगर कुछ बुरा होने वाला होता है, तो वह अनहोनी भी टल जाती है। 

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माहेश्वर तंत्र के अनुसार, पार्थिव पूजा वास्तव में एक प्रकार की ध्यान विधि है, जहां सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार, एक ही अनुष्ठान का हिस्सा बनते हैं। मिट्टी से हम शिवलिंग बनाते हैं फिर पूर्ण मनोयोग से उसे शिव जी मानकर उसकी उपासना करते हैं और पूजा के बाद उसे विसर्जित कर देते हैं। 

सावन के सोमवार के दिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा करना बड़ा ही फलदायी माना जाता है। पार्थिव पूजन में मिट्टी का एक शिवलिंग बनाया जाता है, उसकी विधि-पूर्वक पूजा की जाती है और पूजा के बाद उसे विसर्जित कर दिया जाता है। 

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