Sawan 2024 : सावन में शिवलिंग की कैसे करें पूजा, जान लें सही विधि, नियम और पूजा सामग्री

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सावन का महीना देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे खास होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन का महीना साल का पांचवां महीना होता है। धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, यह महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने और जलाभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में माता पार्वती ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। 

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कब से शुरू है सावन 2024?
इस बार सावन का महीना 22 जुलाई 2024 से शुरू होकर 19 अगस्त 2024 तक चलेगा। सावन में सोमवार व्रत रखने और महादेव की आराधना करना सबसे पुण्यकारी होता है। सावन के महीने में विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत और पूजा करती हैं। वहीं, अविवाहित महिलाएं अच्छे या मनचाहे वर की कामना के लिए सावन सोमवार का व्रत रखती हैं और भोले भंडारी की आराधना करती हैं। 

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। मान्यता है कि जो भक्त पूरे सावन के महीने में शिव जी की पूजा करता है और शिवलिंग का जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वैसे तो सावन का हर दिन शिवजी की पूजा के लिए शुभ है, लेकिन सावन में सोमवार के दिन पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। 

सावन के दौरान कई भक्त घर पर शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पूजा करते हैं। घर में शिवलिंग की पूजा के लिए खास नियम और विधि बताई गई है। अगर आप भी सावन के पूरे महीने में यहां बताई गई विधि से शिवलिंग की पूजा करते हैं तो इससे आपके समस्त कष्ट दूर हो सकते हैं और जीवन में समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं सावन के महीने में किस तरह से शिव उपासना की जाए जिससे शिव कृपा का लाभ मिल सके। 

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सावन में शिवलिंग पूजा का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन को एक बेहद पूजनीय और पावन महीना माना जाता है जो विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है। इस शुभ महीने के दौरान भक्त समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद पाने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। सावन में किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों में से एक है शिवलिंग की पूजा। धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा का विशेष लाभ मिलते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 

शिव पुराण में सावन के दौरान शिवलिंग की पूजा का महत्व माना गया है क्योंकि सावन हिंदू चंद्र कैलेंडर का पांचवां महीना होता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने के दौरान, ब्रह्मांड शिव में दिव्य ऊर्जा भर जाती है, जिससे यह शिवलिंग की पूजा के लिए आदर्श समय बताया गया है। सावन चातुर्मास के दौरान पड़ता है और इस दौरान जगत पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। इसी वजह से जो भी भक्त सावन में शिवलिंग की पूजा करता है, उसके जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है। 

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घर में कौन से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए?
सावन में घर में शिवलिंग की पूजा करें तो आपको घर में कौन सा शिवलिंग रखना चाहिए यह भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष के अनुसार, घर में पारद शिवलिंग रखना सबसे शुभ माना गया है। इसके अलावा आप स्फटिक का शिवलिंग भी घर में रख सकते हैं। 

अगर आप नर्मदा नदी के शिवलिंग की पूजा करते हैं तो यह सबसे ज्यादा शुभ होता है। शिवलिंग भगवान शंकर के निराकार रूप का प्रतिनिधित्व करता है और उनके अनंत स्वरूप का प्रतीक भी माना गया है, इसलिए कुछ विशेष प्रकार के शिवलिंग की ही पूजा घर में करने की सलाह दी जाती है। 

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सावन शिवलिंग पूजा सामग्री
अगर आप घर में शिवलिंग की पूजा या अभिषेक करने करने जा रहे हैं, तो आपको कुछ खास सामग्रियों की जरूरत होती है। आइए इनके बारे में जानें –

बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, बिल्व पत्र, चंदन का लेप, आक के फूल, सफेद फूल, कमल, मौसमी फल, शहद, शक्कर, चीनी, गंगाजल, गाय का दूध, अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य, प्रसाद के लिए मिठाई, आचमन के लिए जल का पात्र। 

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सावन में शिवलिंग की पूजा विधि
धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा हमेशा विधि-विधान से की जानी चाहिए, इससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहती है। शिवलिंग के पूजा के लिए आपका तन और मन दोनों पवित्र होना चाहिए। सावन में शिवलिंग की पूजा करने की विधि नीचे बताई गई है-

सावन में शिवलिंग का पूजा करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके लिए दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराएं। जब भी शिवलिंग का अभिषेक करें, उन्हें जल से भी स्नान कराना चाहिए।

शिवलिंग को स्नान कराने के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर जलहरी पर चढ़ाएं। सबसे पहले शिवलिंग के चारों तरफ बनी जलहरी में जल दाहिनी तरफ से जल चढ़ाएं। 
मान्यता के अनुसार, यह स्थान गणपति बप्पा का माना जाता है और हमेशा जलाभिषेक इसी स्थान से शुरू करना चाहिए। जलहरी के बाद इसके बाईं ओर जल चढ़ाएं जहां कार्तिकेय का निवास माना गया है। इसके बाद आप शिवलिंग के बीच में जल चढ़ा सकते हैं। 

अगर आप शिवलिंग की पूजा घर में कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि हमेशा जलाभिषेक बैठकर ही करें। घर में शिवलिंग की पूजा के बाद आप भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं। 

अगर आप मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें तो कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करें। साथ ही ध्यान रहे कि कभी भी जलहरी को लांघना नहीं चाहिए। 

शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद उसपर चंदन का तिलक लगाएं और उसके बाद बेलपत्र, फूल-माला, भांग-धतूरा आदि चढ़ाएं। शिवलिंग की पूजा के समय उसके आस-पास की जगह खाली रखनी चाहिए, जिससे जल सीधे ही जलहरी से नीचे एक प्रवाह में बहे। 

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सावन में शिव पूजा के नियम

इन चीजों का करें त्याग
सावन के शुरू होते ही तामसिक चीजों जैसे मांस, शराब, नशीले पदार्थ, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में पूरे महीने सात्विक भोजन करना चाहिए। पूजा से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए। 

शिवलिंग पर ये चीजें न चढ़ाएं
महादेव की पूजा में तुलसी के पत्ते, हल्दी, केतकी का फूल, सिंदूर, शंख, नारियल आदि चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ये सभी चीजें शिव पूजा में वर्जित मानी गई हैं। 

इन दिनों पर व्रत रखना है शुभ
सावन के सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ये तीनों ही दिन शिव जी की कृपा पाने के लिए सबसे विशेष माने गए हैं। 

शिव जी मंत्रों का जाप करें
सावन में सामान्य पूजा के दौरान आप ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप शिव चालीसा पढ़कर भी भगवान शिव की आरती कर सकते हैं। आरती करने से पूजा की कमियां दूर हो जाती हैं। 

शिवलिंग के आकार का रखें ध्यान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में स्थापित किए जाने वाले शिवलिंग का आकार हमेशा छोटा ही होना चाहिए। घर में अंगूठे के आकार का शिवलिंग स्थापित करना सबसे उत्तम है। इसके अलावा शिवलिंग अकेले नहीं रखना चाहिए। उसके साथ में नंदी या शिव परिवार की फोटो जरूर रखें। 

जलधारा युक्त शिवलिंग
शास्त्रों के मुताबिक, शिवलिंग से हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उस ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने के लिए ही शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। शिवलिंग की ऊर्जा को शांत रखने के लिए जलधारा होना जरूरी है। 

इस दिशा में रखें शिवलिंग 
घर में शिवलिंग की स्थापना ऐसे करें कि जलधारा उत्तर दिशा की ओर रहे। वहीं, घर में हमेशा एक शिवलिंग की ही स्थापना करना चाहिए। घर में एक से ज्यादा शिवलिंग की स्थापना करना अशुभ माना जाता है। 

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