Sarva Pitru Amavasya 2023: पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन पितरों को लगाएं 16 पूड़ियों का भोग, जानें महत्व

m

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इसे महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और कहते हैं कि इस दिन श्राद्ध कर्म करने से सभी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यदि पितृ पक्ष के दौरान किसी पितर का श्राद्ध न कर पाएं या तिथि याद न हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के बाद पितरों से गलती के लिए माफी मांगी जाती है। कहते हैं कि इससे पितर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर अपने स्थान पर वापस चले जाते हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन 16 पूड़ियां बनाकर उनका भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व। 

m

सर्वपितृ अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा। इस दिन ​तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। 14 ​अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक कुतुप मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 12 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक रोहिणी मुहूर्त बन रहा है फिर अपराह्न काल रहेगा जो कि दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से लेकर 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। 

m

इस दिन बनाई जाती है 16 पूड़ियां
सर्वपितृ अमावस्या के दिन विधि-विधान से पितरों की विदाई की जाती है और यदि पितर प्रसन्न हो जाएं तो अपना आशीर्वाद देकर अपने स्थान को वापस जाते हैं। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि आपको नहीं पता या किसी कारणवश उनका श्राद्ध करना भूल गए हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करते समय 16 पूड़ियां बनाएं और उन पर चावल की खीर बनाकर थोड़ी-थोड़ी खीर रखें। इसके बाद कुछ पूड़ियां सबसे पहले कौवे के लिए निकालें और उन्हें छत पर रख दें। साथ ही पानी का गिलास या बर्तन रखना न भूलें। इसके बाद कुछ पूड़ियां गाय, कुत्ते व चीटियों के लिए भी निकालें। कहते हैं इन सभी को भोग लगाने से भोग सीधा पितरों तक पहुंचता है और वह तृत्प हो जाते हैं। 

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story